कोपेनहेगन। इस साल साहित्य का नोबल पुरस्कार किसी को नहीं दिया जाएगा. 117 सालों के इतिहास में ऐसा 8वीं बार ऐसा होने जा रहा है, जब किसी विजेता को साहित्य का नोबल पुरस्कार नहीं दिया जाएगा. दरअसल विजेता का चुनाव करने वाली स्वीडिश एकेडमी की ज्यूरी मेंबर कटरीना फ्रोस्टेनसन के पति जीन क्लाउड अरनॉल्ट पर यौन शोषण के आरोप लगे हैं. इसलिए इस बार विजेता का चुनाव नहीं किया जा सका. बता दें कि फ्रेंच फोटोग्राफर जीन क्लाउड अरनॉल्ट पर सोशल मीडिया कैंपेन #मीटू के तहत 18 महिलाओं ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं. वैसे अरनॉल्ट इन आरोपों से खारिज कर चुके हैं.

हालांकि कल स्टॉकहोम में हुई ज्यूरी मीटिंग में ये फैसला जरूर लिया गया है कि इस साल यानि 2018 का साहित्य का नोबल पुरस्कार अगले साल दिया जाएगा. नोबल प्राइज देने वाली संस्था ने बयान जारी करके कहा कि आरोपों से संस्था की छवि खराब हुई है और इस पर से लोगों का विश्वास कम हुआ है. गौरतलब है कि स्वीडिश एकेडमी की शुरूआत 1786 में हुई थी. पहली बार 10 दिसंबर 1901 को नोबल पुरस्कार दिए गए थे.

वहीं स्वीडिश एकेडमी की ज्यूरी मेंबर कटरीना फ्रोस्टेनसन और उनके पति जीन क्लाउड अरनॉल्ट से एकेडमी ने सारे संबंध समाप्त कर लिए हैं. इसके लिए फ्रोस्टेनसन को 18 सदस्यीय कमेटी से निकालने को लेकर वोटिंग हुई थी. इधर स्थायी सदस्य सारा डेनिअस समेत अब तक एकेडमी के 6 मेंबर इस्तीफा दे चुके हैं.

8 बार साहित्य का नोबल पुरस्कार नहीं दिया गया

  1. 1914 में प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान
  2. 1918 में प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान
  3. 1935 में साहित्य के नोबल पुरस्कार के लिए कोई उम्मीदवार नहीं मिला
  4. 1940 में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान
  5. 1941 में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान
  6. 1942 में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान
  7. 1943 में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान
  8. इस साल का नोबल पुरस्कार अगले साल दिया जाएगा