लक्ष्मीकांत बंसोड़,डौंडी. एक तरफ सरकार पेड़ लगाने के लिए लोगों को जागरुक करने का काम कर रही है. वहीं दूसरी ओर बालोद जिले के ग्राम मथेना के आश्रित गांव किशनपुरी में महिलाओं ने 300 एकड़ में फैले जंगलों को बलि चढ़ाने की ठान ली है. इसी क्रम में महिलाओं ने जंगल के 1000 से ज्यादा पेड़ों को काट डाला है. जब उनसे इस संबंध में बात की गई तब उन्होंन साफ कह दिया कि हमारे पास जीवन यापन करने के लिए कोई खेती-बाड़ी नहीं है. इसलिए हमने इस जंगल के पेड़ों का काटने का फैसला किया है. उन्होंने बताया कि वे अब तक 1000 हजार से ज्यादा पेड़ काट चुकी हैं. उनसे जब इस संबंध में पूछा गया कि आपलोगों ने क्या इसकी सूचना पहले किसी को दी है तो उन्होंने बताया कि हमने खेत बनाने को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा था लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जिसके कारण हमें यह फैसला उठाना पड़ा. इसकी सूचना जब वन विभाग के आला अधिकारियों को दी गई तब वन विभाग ने अपने उड़नदस्ता टीम को महिला बीट गाड के साथ मौके के लिए रवाना किया.

जहां बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद थी और पेड़ काटने का काम कर रही थी. वन विभाग ने इन महिलाओं को बार बार समझाने की कोशिश लेकन घंटों तक ये महिलाएं अपने बात पर डट रहीं. परिणाम यह हुआ कि वन कर्मियों को जबरन उन ग्रामिणों से टंगिया छीनना पड़ा तब जाकर महिलाएं शांत हुई. मामले पर कार्रवाई करते हुए वन विभाग के अधिकारियों ने कुल 66 पेड़ को लेकर कार्रवाई की है. लेकिन अब भी 900 से अधिक पेड़ों पर कार्रवाई होनी बाकी है.

मजबूरियां आती हैं आड़े

वहीं इस दौरान महिलाओं की भीड़ इतना ज्यादा थी कि स्थानीय वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी उड़नदस्ता टीम को बताए बगैर ही मौके से फरार हो गए.जिसके चलते भी बालोद से पहुंची उड़नदस्ता टीम को कटे हुए पेड़ों पर कार्रवाई करने में कठिनाई हई. इस संबंध में लल्लूराम ने वन परिक्षेत्र एसडीओ से संपर्क किया तो उन्होंने चौकाने वाला बयान दिया कि हमें इस बात की जानकारी है पर हमारी कुछ मजबूरियां आड़े आ जाती हैं. जिसके कारण हम कार्रवाई नहीं कर पाते.ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि कलेक्टर समेत वन विभाग के अधिकारियों की इस बात की जानकारी होने के बाद भी वे अब तक क्यों कुछ नहीं कर सके हैं.

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