रायपुर. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.एस.के.पाटिल समेत 7 अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा  1 करोड़ 26 लाख 70 हजार 880 रूपये के भ्रष्टाचार के मामले में न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी अनंत दिप तिर्की ने जुर्म दर्ज करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने तेलीबांधा थाने को आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज करने का आदेश जारी किया है.

पत्रकारों से चर्चा करते हुए युवा जनता कांग्रेस अध्यक्ष विनोद तिवारी ने बताया कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. एस.के. पाटिल, डाॅ. शिवकुमार श्रीवास्तव, माधुरी यादव, के.के. चारी, पुष्पा साहू, पुष्पा यादव, अमिताभ शर्मा, रूबी मजूमदार के विरूद्ध 1 करोड़ 26 लाख 70 हजार 880 रूपये गबन करने कुटरचित दस्तावेज तैयार करने, उनका उपयोग कर षड़यंत्र रचने तथा एक राय होकर शासकीय राशि का गबन कराने की शिकायत 6 अप्रैल 2017 को तेलीबांधा थाने में जुर्म दर्ज कराने की मांग की गई थी. कार्रवाई ना होने पर 17 अगस्त 2017 को पुलिस अधीक्षक के समक्ष पुनः जुर्म दर्ज करने शिकायत की गई थी, परंतु राज्य सरकार के इशारे पर मामले की जांच तो दूर एफआईआर तक दर्ज नहीं किया गया.

मामले में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने खुद एक जांच कमेटी की गठित की थी. कमेटी के सदस्य आर.एन. बोस ने अपनी रिपोर्ट में भ्रष्टाचार की पुष्टि की थी. परंतु स्वयं कुलपति भ्रष्टाचार में डूबे थ. इसलिये कमेटी के रिपोर्ट को भी नजर अंदाज कर दिया. मामले की विस्तृत जानकारी देते हुए विनोद तिवारी ने बताया कि षड़यंत्रकारी अधिकारियों ने युको बैंक कृषक नगर शाखा द्वारा 12 व 13 अप्रैल 2010 में जारी किये गये चेक से 26 मार्च 2010 से 30 मार्च 2010 की तिथियाों में भुगतान कर कैसबुक एन्ट्री किया. प्रमाणित दस्तावेजों से यह स्पष्ट दृष्टिगत हो रहा है कि छल कपट कर शासकीय राशि का गबन व दूरूपयोग किया गया है, लेकिन सरकार को यह नहीं दिख रहा था.

कार्रवाई होने पर प्रथम श्रेणी दण्डाधिकारी न्यायालय रायपुर में आवेदन दिया गया था, जिस पर निर्णय देते हुए  अनंत दिप तिर्की की अदालत में मंगलवार को अपने निर्णय में थाना प्रभारी तेलीबांधा को निर्देशित करते हुए कहा कि, प्रकरण को संलग्न दस्तावेजों सहित प्रथम दृष्टया अपराध घटित होना दर्शित होता है.अतः थाना प्रभारी तेलीबांधा को निर्देशित किया जाता है कि, आवेदन पत्र में उल्लेखित व्यक्तियों के विरूद्ध प्राथमिक सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध कर न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत करें.