बलौदाबाजार के ग्राम कोकड़ी में शिवपुराण सुनने उमड़ रहे श्रद्धालु

अरविन्द मिश्रा, बलौदाबाजार। जिस घर में गुरूनानक देव का गुरूग्रंथ रखा होता, वहीं गुरुद्वारा बन जाता है. उसी प्रकार जहाँ शिव रहता है, वहाँ शिवालय बन जाता है. यह बात बलौदाबाजार के ग्राम कोकड़ी में आयोजित शिवपुराण कथा के पहले दिन अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कही.

पं. प्रदीप मिश्रा ने बड़ी संख्या में मौजूद श्रोताओं को कथा सुनाते हुए कहा कि पद प्रतिष्ठा तब तक रहता है, जब तक पद है. पद गया, सब गया. उसी प्रकार जब तक सांस है, तब तक यह शरीर है. सांस टूटा शरीर किसी काम का नहीं रह जाता है. अत: इसे अच्छे कार्य में लगाये. प्राण जाने के बाद शरीर का कोई मूल्य नहीं है.

कथा वाचन ने कहा कि भगवान की कथा करवाना भी बड़ा पुण्य का काम है. विश्वास पक्का होता है, तो भोले नाथ कृपा जरूर करते हैं. भगवान की पावन कथा सुनने का सौभाग्य भी भाग्यवालों को मिलता है, और आशुतोष की कथा तो सहज भाव की कथा है. शंकर जी का कोई शत्रु ही नहीं है. सारे असुर उनके भक्त ही है. भस्मासुर, तारकासुर, रावण जैसे भी उनके शत्रु नहीं है. आशुतोष नाम रखने से कुछ नहीं होगा, वरन् वैसा बनने से होगा. जिसका कोई दुश्मन नहीं होता है वह आशुतोष कहलाता है और वह है शिव.

भगवान के दरबार तक वही पहुंचता है, जिसको बाबा बुलाते हैं. नारियल का पेड़ वहीं लगता है, जहाँ उसके लायक जमीन हो. कहने का मतलब यह है जैसी जमीन होगी, वैसी फसल होगी. जिसके माता-पिता के संस्कार प्रबल होता है, वही शिव महापुराण की कथा श्रवण करने पहुंचता है. शिव तब क्रोधित होते हैं, जब धर्म नष्ट होता है, और शिव महापुराण उसी धर्म को नष्ट होने से बचाने आया है. इसका परिणाम हुआ कि आज लुप्त हो रहे शिवालय पुनः जागृत हो गये हैं.

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