चंद्रकांत देवांगन, दुर्ग.  कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल के परिवार को एक बड़ा लगा है. भूपेश के पिता नंदकुमार बघेल द्वारा दायर एक याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दी है. इस याचिका के माध्यम से नंदकुमार ने 20 एकड़ जमीन को पैतृक बताया था, जिसे कोर्ट ने सरकारी माना है.इस परिवाद पर मंगलवार को फैसला जज स्मिता रत्नावत ने सुनाया.

सरकारी वकील नागेश्वर यदु ने बताया कि इस प्रकरण में परिवादी नंदकुमार बघेल ऐसा एक भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाए, जिससे यह सिद्ध हो कि वास्तव में जमीन उनके नाम की है. इसी बात को हमने प्रमुखता से रखा था. जिसे न्यायालय ने सही ठहराया और परिवाद को खारिज कर दिया.

प्रकरण के मुताबिक नंदकुमार बघेल ने परिवाद में जानकारी दी थी कि उनके दिवगंत पिता खोमनाथ बघेल ग्राम कुरुदडीह में पटवारी हल्का नंबर 64 के मालगुजार थे. जब 1973 में उनका निधन हुआ तब विवादित जमीन उनके कब्जे में थी. इसके बाद से इस 20 एकड़ जमीन का उपयोग वे करते आ रहे हैं. लेकिन चकबंदी के दौरान हुई गड़बड़ी के कारण रिकार्ड से उनका नाम गायब हो गया. वर्तमान में यह जमीन उनके कब्जे में है. जिसका वे उपयोग वे कर रहे हैं. इसलिए रिकार्ड को सुधार कर जमीन को उनके नाम पर करने की अनुमति दी जाए.

साल 1980 में नंदकुमार बघेल ने सरकारी जमीन को अपने नाम करने के लिए न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया था. यह प्रकरण 38 साल से न्यायालय में विचाराधीन था. इस प्रकरण में परिवादी ने साक्ष्य परीक्षण कराया था, लेकिन प्रतिवादी ने प्रावधानों के अनुरूप निर्धारित समय पर साक्ष्य परीक्षण नहीं करवाया. इस पर न्यायालय ने 19 मार्च 1997 को प्रतिवादी साक्ष्य अवसर समाप्त कर दिया था.

बतादें कि भूपेश बघेल के पैतृक और सरकारी जमीन पर कब्जे को लेकर जमकर राजनीति हुई. इस मामले को लेकर जनता कांग्रेस ने भी बघेल पर जमकर हल्ला बोला था. जनता कांग्रेस के नेता विधान मिश्रा ने 6 जनवरी 2017 को जिले की तत्कालीन कलेक्टर आर शंगीता को जमीन से संबंधित कई अहम दस्तावेज सौंपे थे. जिसके बाद यह बात सामने आई थी कि भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है.

मामला प्रकाश में आने के बाद राज्य शासन ने जांच के भी आदेश दिया थे. इस जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया था. जांच टीम ने बघेल और उनके परिजनों के कुरूदडीह, बलौदी और भिलाई तीन में जमीन को नापजोख भी की थी.