रामचरित मानस पर बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर के विवादित बयान पर अभी विवाद थमा नहीं था कि अब उत्तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी नेता और MLC स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी रामचरित मानस को लेकर विवादित बयान दिया है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि तुलसी दास रचित रामायण को प्रतिबंधित करना चाहिए.

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि जिस दकियानूसी साहित्य में पिछड़ों और दलितों को गाली दी गई हो उसे प्रतिबंधित होना चाहिए. अगर सरकार तुलसीदास की रामायण को प्रतिबंधित नहीं कर सकती तो उन श्लोको को रामायण से निकालना चाहिए. उन्होंने कहा कि जिसमें यह सब बातें लिखी हैं 90% आबादी वाली जनसंख्या के बारे में गलत बातें लिखी गई हैं. 50 फीसद आबादी वाली महिलाओं को लेकर भी तुलसीदास रचित रामायण में आपत्तिजनक बातें लिखी गई.

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स्वामी प्रसाद ने कहा कि कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है. यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरित मानस से जो आपत्तिजनक अंश हैं, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए.

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स्वामी प्रसाद ने ये भी कहा कि ब्राह्मण भले ही दुराचारी, अनपढ़ या गंवार हो, लेकिन वह ब्राह्मण है. उसको पूजनीय कहा गया है, लेकिन शूद्र कितना भी पढ़ा-लिखा या ज्ञानी हो. उसका सम्मान मत करिए. क्या यही धर्म है? अगर, धर्म यही है, तो मैं ऐसे धर्म को नमस्कार करता हूं. जो धर्म हमारा सत्यानाश चाहता है, उसका सत्यानाश हो.

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गौरतलब है कि 11 जनवरी को बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कहा था कि ‘रामायण’ पर आधारित एक महाकाव्य हिंदू धर्म पुस्तक ‘रामचरितमानस’ समाज में नफरत फैलाती है. नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने ‘रामचरितमानस और मनु स्मृति को समाज को विभाजित करने वाली पुस्तकें बताया था.

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