दिल्ली. चांद का दीदार होते ही गुरूवार शाम से माह-ए-रमजान का आगाज हो गया. शुकवार को पहला रोजा होगा. वहीं चांद रात पर मुस्लिम इलाकों में खास चहल-पहल नजर आई. मस्जिदों में तरावीह (विशेष नमाज) का दौर शुरू हो गया. रमजान के महीने का चांद दिखने के साथ ही मस्जिदों में रमजान की विशेष नमाज तराहवी भी शुरू हो गई. तराहवी की नमाज में कुरान शरीफ को सुनाया जाता है. इसके अलावा लोगों ने आतिशबाजी की और एक दूसरे को गले लगाकर रमजान की मुबारकबाद दी.
गौरतलब है कि ऐसा बहुत कम देखने में आता है जब भारत और खाड़ी क्षेत्र में एक साथ रोजे शुरू हों. अमूमन खाड़ी देशों में रमजान का ऐलान होने के एक दिन बाद भारत के हिस्सों में रोजे शुरू होते हैं. सउदी अरब और अन्य खाड़ी देशों में भी कल से ही रमजान शुरू हो रहे हैं.
माना जाता है कि ये महीना हमें गुनाहों से बचने और भलाई के रास्ते पर चलने की सीख देता है. पूरे माह के रोजे फर्ज हैं. रोजे के मायने केवल भूखे प्यासे रहना नहीं है. बल्कि खुद को हर उस बात से रोकना है, जिससे किसी को तकलीफ पहुंचे. जुबान से किसी की बुराई या ऐसी बात न बोले जो किसी को बुरी लगे.हाथों से ऐसे काम न करे जो किसी को तकलीफ पहुंचाए. पैरों से चल उन जगहों पर न जाए जहां गुनाह हो रहे हैं. रोजे में अगर इन बातों की पाबंदी नहीं की तो ये भूखे प्यासे रहने के जैसा ही होगा। ऐसे में जरूरी है कि इबादत में ज्यादा से ज्यादा वक्त गुजारे.