अजय शर्मा, भोपाल/अजयारविंद नामदेव, शहडोल। आज के इस तकनीकी और विज्ञान की प्रगति के दौर में भी अंधविश्वास (Superstition) देखने को मिल रहा है। अंधविश्वास के फेर में फंसे परिजनों ने इलाज के नाम पर तीन माह की दूधमुंही बच्ची को 51 बार गर्म सलाखों से दागा। इसके बाद भी सुधार नहीं आया, मासूम की हालत बिगड़ने पर परिजनों ने उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती करा दिया।
यह दिल दहला देने वाला मामला शहडोल जिले (Shahdol) से सामने आया है। जहां पुरानी बस्ती (Purani Basti) निवासी रुचिता कोल की जन्म के बाद से ही तबीयत खराब रहती थी। बताया जा रहा है कि रुचिता को निमोनिया और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। इलाज के नाम पर परिजनों ने तीन महीने की दुधमुंही बच्ची को 51 बार गर्म सलाखों से दगना करा दिया।
इसके बाद भी मासूम की हालत नहीं सुधरी। बल्कि गर्म सलाखों से दागने के चलते बच्ची और बीमार हो गई। बालिका की हालत ज्यादा बिगड़ती देख परिजनों ने शहडोल मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया है। मेडिकल कॉलेज में शिशु रोग विभाग की टीम निगरानी में रख कर इलाज कर रही है। जहां बालिका की हालत नाजुक बनी हुई है।
वहीं कलेक्टर वंदन वैद्य ने कहा कि इस संबंध में जानकारी मेरे संज्ञान में नहीं है। गांवों में अभियान चलाएंगे, लोगों को जागरुक करेंगे। कमिश्नर राजीव शर्मा ने कहा कि दगना के खिलाफ गांवों में अभियान चलाएंगे। ऐसे लोगों की काउंसलिंग कराई जाएगी।
आपको बता दें कि आदिवासी बाहुल्य शहडोल जिले में दगना कुप्रथा जारी है। इलाज के नाम पर मासूम बच्चों को आज भी गांवों में गर्म लोहे से दागा जाता है। जिसके चलते पूर्व में कुछ बच्चों की मौत भी हो चुकी है। बावजूद इसके अभी भी लगातार दगना के मामले सामने आते जा रहे है। जबकि प्रशासन द्वारा बड़े स्तर पर दगना कुप्रथा को लेकर जान जागरूकता चलाया जा रहा है, लेकिन इसका असर दिखाई नहीं पड़ रहा है।
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