रायपुर. बीते 24 दिसंबर को मनरेगा कर्मचारियों ने बैल बनकर एक अनूठा प्रदर्शन कर सरकार के समक्ष अपनी मांगे बताने का प्रयास किया था. मंत्री कवासी लखमा के आश्वासन देने के बाद हड़ताल स्थगन के 8 माह बीत जाने के बाद भी हड़ताल अवधि का वेतन रुका हुआ है. वहीं इनकी दो सूत्रीय मांगे है कि कर्मचारियों को रोजगार सहायक का ग्रेड पे निर्धारण और जब तक नियमितीकरण नहीं किया जाता तब तक समस्त 12 हजार से अधिक मनरेगा कर्मियों को पंचायतकर्मी का दर्जा दिया जाए. हालांकि कर्मचारियों को अब कांग्रेस के महाधिवेशन से भी काफी उम्मीदें है.

वहीं कर्मचारियों का कहना है कि, कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर नेता दूसरे राज्य जहां अन्य पार्टी की सरकार है वहां मनरेगा कर्मचारी की दयनीय स्थिति पर सवाल खड़े कर कांग्रेस सरकार आने पर नियमितीकरण का वादा करती है. वहीं छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार के बनने के बाद इस संबंध में निर्णय नहीं लिया जाने पर मनरेगाकर्मियों में सरकार के प्रति असंतोष का कारण बन रहा है.

छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय मीडिया प्रभारी सूरज सिंह ठाकुर ने बताया कि, 2018 के चुनाव पूर्व कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र के बिंदु क्रमांक 11 में सभी संविदा कर्मचारी के नियमितीकरण और किसी की भी छटनी नहीं की जाएगी यह स्पष्ट उल्लेख है. लेकिन लगभग साढ़े चार साल बीत जाने के बाद भी यह वादा पूरा नहीं किया गया. मनरेगा कर्मियों के हड़ताल के मंच पर आकर आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने 3 माह में मांगे पूरी करने का वादा कर हड़ताल स्थगित करवाया था. 8 माह से हम उनके चक्कर लगा रहे हैं. आला अफसर कमेटी और पत्राचार का खेल खेल रहे हैं, अभी तक कमेटी द्वारा पहल भी नहीं की गई है.

आगे उन्होंने कहा, 2019 में कांग्रेस के महासचिव प्रियंका गांधी जी ने एक अन्य राज्य में मनरेगा कर्मियों के लिए बनी कमेटी को केवल झांसा देना बताया था, क्या यह माना जाए कि छत्तीसगढ़ में भी कमेटी बनाकर यहां के मनरेगा कर्मचारियों को झांसा दिया जा रहा है.15 वर्षों से रोजगार सहायक ग्राम पंचायत स्तर पर सेवा देने के बाद भी 6 हजार अल्प वेतन, बिना किसी सामाजिक सुरक्षा और कभी भी नौकरी से निकाले जाने के भय से मानसिक रूप से संघर्ष करते आ रहे हैं.

छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय मीडिया प्रभारी ने यह भी कहा कि, राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजना नरवा- गरवा-घुरवा-बारी, गोधन न्याय योजना के साथ-साथ रीपा योजना के संचालन की जिम्मेदारी भी इन्हीं मनरेगा कर्मचारियों के मत्थे मढ़ दी गई है. जिसके संचालन के लिए इन्हें अलग से ना ही किसी प्रकार की वित्तीय सहायता दी गई है और ना ही अन्य खर्च करने के लिए पैसा दिया जा रहा है. इसके विपरीत योजना संचालन में कमी होने पर नोटिस और नौकरी से निकालने का डर उच्च अधिकारी दिखाते रहते हैं.

राष्ट्रीय स्तर पर कई कीर्तिमान
कर्मचारियों का कहना है कि, कोरोनाकाल में सबसे अधिक रोजगार सृजन कर छत्तीसगढ़ राज्य देश में अव्वल रहा, जिसके लिए स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने तारीफ भी की थी. कोरोना काल में 200 के करीब मनरेगा कर्मचारी ग्रामीण श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराते हुए दिवंगत हो गए. इन शहीद मनरेगा कर्मचारियों के परिवार को भी सम्मानजनक सहायता नहीं पहुंचाई गई. विगत वर्षों में किए कार्यों के कीर्तिमान से राज्य को 31 राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया.

भूपेश सरकार से वादे अनुरूप पहल की दरकार
महात्मा गांधी नरेगा योजना अंतर्गत कार्य करने वाले अधिकारी, कर्मचारी एवं रोजगार सहायकों का वेतन वर्ष भर में प्रदेश स्तर पर व्यय होने वाली राशि के 6 प्रतिशत आकस्मिक व्यय से किए जाने के भारत सरकार द्वारा निर्देश हैं. ऑनलाइन रिपोर्ट को गौर करें तो विगत 4 वर्षों में केवल 3 से 5 प्रतिशत ही राशि का व्यय किया जा सका है. एक बड़ी राशि प्रतिवर्ष खर्च नहीं किए जाने की स्थिति बनी हुई है. इस राशि का समुचित उपयोग अगर किया जाए तो कर्मचारियों की मांगे पूरी की जा सकती थी, लेकिन इसके विपरीत 17 जनवरी को 1979 पदों की कटौती का प्रस्ताव भी मनरेगा कर्मचारियों के साथ छत्तीसगढ़ के बेरोजगार युवाओं के लिए भी पीड़ा का विषय है.

राहुल गांधी से अपील
छत्तीसगढ़ के मनरेगा कर्मचारियों ने अप्रेल 2022 मे भीषण गर्मी मे अपने नियमितीकरण संबंधी मांगों के लिए दंतेवाड़ा से लेकर राजधानी रायपुर तक 400 किमी. की पैदल दांडी यात्रा सह तिरंगा यात्रा किया था. राहुल गांधी जी भारत जोड़ो यात्रा किए तो शायद हमारी पीड़ा को समझ सकते हैं. इसलिए हम राहुल गांधी जी से अपेक्षा करते हैं कि, मनरेगा कर्मचारियो की मांगों पर त्वरित विचार करते हुए हमारी नियमितीकरण संबंधी मांगों को पूरा किया जाए. साथ ही मनरेगा योजना को कांग्रेस अपनी सफलता मानती है तो कांग्रेस महाधिवेशन के दौरान मनरेगा कर्मचारियों को नियमित करने का प्रस्ताव कर इस बात को चरितार्थ भी करें कि कांग्रेस केवल योजना नहीं बल्कि योजना क्रियान्वयन में लगे कर्मचारियों का भी ख्याल रखती है.

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