कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने विदेश रवाना होने से पहले राष्ट्रीय संगठन में अहम फेरबदल कर दिए. इस बदलाव से प्रभावित हुए हैं पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह. उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव पद से हटा दिया गया है. साथ ही उनसे आंध्र प्रदेश का प्रभार भी वापस ले लिया गया है. राहुल गांधी ने केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त कर उन्हें आंध्र प्रदेश का प्रभारी बनाया है. इस परिवर्तन के साथ ही कांग्रेस की केंद्रीय राजनीति में दिग्विजय सिंह की भूमिका पूरी तरह ख़त्म हो चुकी है.
ऐसे में क्या ये मान लिया जाए राजनीति के सुलझे हुए खिलाड़ी दिग्विजय सिंह वाकई अब राहुल की कांग्रेस में अनफिट हो गए हैं, या फिर इसके कुछ और मायने निकाले जाने चाहिए. आंध्र से पहले पार्टी नेतृत्व ने दिग्विजय से गोवा, तेलंगाना और कर्नाटक का प्रभार वापस लेकर उनकी भूमिका सीमित करने का संकेत दे दिया था. वैस ये राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद AICC में ये पहला बड़ा बदलाव है.
क्या मध्यप्रदेश में होने वाला चुनाव है वजह ?
इस साल के आखिर में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है. कुछ लोगों का मानना है कि इसी के चलते दिग्विजय सिंह को केन्द्रीय जिम्मेदारियों से मुक्त किया गया है. और उन्हें मध्यप्रदेश के चुनाव में अहम भूमिका दी जा सकती है. अगर ऐसा है तो फिर कमलनाथ को क्यों मुक्त नहीं किया गया वे अभी भी महासचिव और हरियाणा के प्रभारी बने हुए हैं. जबकि ऐन चुनाव के पहले पार्टी ने उन्हें PCC अध्यक्ष भी बनाया है. इस संबंध में वरिष्ठ राजनीति विश्लेषक गिरिजा शंकर का कहना है कि-
दिग्विजय सिंह ऐसे राजनेता हैं कि उन्हें एक झटके में कांग्रेस की राजनीति से अलग नहीं किया जा सकता, जरूर मध्यप्रदेश के चुनाव में उनकी भूमिका के मद्देनजर ही ये फैसला लिया गया होगा.
माना ये भी जाता है कि 10 साल तक मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री रहने वाले दिग्गी राजा अभी भी प्रदेश में कांग्रेस के मौजूदा नेताओं में सबसे ज्यादा प्रभावी हैं. इस साल नर्मदा परिक्रमा कर उन्होंने ये दिखा भी दिया की प्रदेश में उनकी जमीनी पैठ अभी भी बनी हुई है.
खैर जो भी हो मध्यप्रदेश के साथ ही राष्ट्रीय राजनीति में दिग्विजय सिंह लंबे समय से सक्रिय रहे हैं. ऐसे में आने वाले वक्त में वो किस भूमिका में हमारे सामने होंगे इसके लिए थोड़ा इंतजार करना बेहतर होगा.