रायपुर. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़-जे के प्रवक्ता नितिन भंसाली ने प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग पर प्रायमरी ओर मिडिल स्कूल की बच्चों की परीक्षा हेतु पिछले 5 वर्षों में प्रश्नपत्र छपाई के कार्य मे 150 करोड़ रूपये के घोटाले का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत प्रधानमंत्री और मानव संसाधन मंत्री से की है. उन्होंने मांग की है कि घोटाले में लिप्त दोषी अधिकारियों और व्यपारियों के खिलाफ जनहित ओर छात्रहित में तत्काल कड़ी कार्रवाई की जाए.

nitin bhansali

एक  विज्ञपति जारी कर  नितिन भंसाली ने बताया कि छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्रालय ने पिछले 5 वर्षों में सारे नियम कायदे कानून की धज्जियां उड़ाते हुए गोपनीयता के नाम पर इस महा घोटाले को अंजाम दिया है. नितिन ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने 5 दिसम्बर 2016 को एक पत्र जारी किया जिसमें जानबूझ कर यह निर्देश दिया गया कि प्रशन पत्र छपाई का काम अत्यंत गोपनीय है.

अतः इसकी छपाई का कार्य प्रति वर्ष के अनुसार सीमित निविदा के माध्यम से किया जाए इस निर्देश का शासन के अधिकारियों ने उच्च स्तरीय संरक्षण में भरपूर फायदा उठाते हुए गोपनीयता के नाम पर अपने मनपसंद व्यपारियो से सांठगांठ कर ऊंची दरों पर प्रश्नपत्र छपाई का कार्य निविदा कर समपन्न करवाया गया. जिसमें करोड़ों रुपए की कमीशनखोरी को अंजाम दिया गया.

भंसाली ने बताया किअधिकारियों ने सांठगांठ कर प्रशनपत्रों के पन्नो की संख्या को भी जानबूझकर बढ़ाया है. साथ ही विभाग द्वारा गोपनियनता के नाम पर सीमित निविदा कर प्रदेश में प्रश्नपत्रों की छपाई एवं खरीदी 30 से 35 रुपए  प्रति सेट की दर से की गई है, जबकि खुले बाजार में रायपुर में ही 7 रुपैये प्रति प्रशनपत्र सेट की दरें छपाई कर देने हेतु उपलब्ध है.

नितिन भंसाली ने प्रदेश के शिक्षा विभाग पर आरोप लगाया है कि अधिकारियों द्वारा व्यपारियो से मिलीभगत कर बाजार से 5 गुना अधिक दर पर प्रशनपत्र की छपाई का कार्य समपन्न कराते हुए इस महाघोटाले को अंजाम दिया है. उन्होंने बताया की देश के अन्य राज्य महाराष्ट्र,बिहार,झारखंड, ओड़िसा,मध्य प्रदेश,राजस्थान जैसे प्रदेशों में प्रश्नपत्र छपाई का काम खुली निविदा के माध्यम से किया गया है. जहां पर इन राज्यो में प्रतिवर्ष लगभग 7 से 8 रुपैये प्रति प्रश्नपत्र छपाई का कार्य स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा करवाया गया है.

नितिन ने यह भी कहा है कि प्रशनपत्र छपाई के इस महाघोटाले की शिकायत वे प्रधानमंत्री और मानव संसाधन मंत्री से करने के बाद अब इस पूरे प्रकरण की शिकायत ईओडब्ल्यू ओर लोकआयोग में करने की तैयारी भी कर रहे है.