राजस्थान। अगर आप पशु पेमी (animal lover) हैं, और अलग-अलग प्रजातियों के पशु पक्षी को निहारना चाहते हैं तो राजस्थान से अच्छी जगह कोई नहीं हो सकती। यहां के अभ्यारण्यों में बहुत ही सुंदर-सुंदर प्रजाति के पशु पक्षी देखने मिल जाते हैं। उर इन्ही में से एक है हॉग हिरण। जो बहुत ही कम जगह देखने को मिलते हैं। तो अगर आप भी हॉग हिरण की खूबसूरती को निहारना चाहते हैं तो आपको आना होगा विश्व विख्यात केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान। जी हां राजस्थान के भरतपुर में स्थित अपने देसी विदेशी पक्षीयों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। यहां 350 से अधिक देशी विदेशी पक्षियों की प्रजातियां देखने को मिल जाती है और इसलिए इसे पक्षियों का स्वर्ग कहा जाता है।
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सदियों के मौसम में प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा रहने के साथ साथ पर्यटक भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. पक्षियों के अलावा यहां अन्य जानवर भी देखने को मिलते हैं। उन्हीं में से एक हॉग हिरण है।जो हिमालय के तराई क्षेत्र और पूर्वी भारत के साथ पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश ,भूटान आदि क्षेत्रों में पाया जाता है। राजस्थान में हॉग हिरण सिर्फ केवलादेव राष्ट्रीय उधान में ही पाया जाता है। जानकारी के मुताबिक इसकी प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर पहुंच रही है।
हॉग हिरण की विशेषता
हॉग हिरण का आकार छोटा होता है और इसकी लंबाई तीन फीट तक होती है। नर के सींग और मादा बिना सींगो वाली होती है। इसका वजन 35 से 45 किलो तक होता है।यह 15 से 18 साल तक जीवित रहता है। हॉग हिरण को घास खाना और घास में रहना बेहद पसंद है।यह रुकने की बजाए दौड़ता रहता है और लगातार दौड़ने की वजह से इसका नाम हॉग डियर पड़ा है। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में 2008 से पहले हॉग हिरण की अच्छी खासी संख्या थी, लेकिन अब ये धीरे धीरे कम हो रहे हैं और अब यहां7-8 हॉग हिरण ही बचे हैं, जिनका समय रहते संरक्षण किया जाना बहुत जरूरी है।
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