रायपुर. छत्तीसगढ़, गोवा और जम्मू-कश्मीर,पंजाब, मिजोरम में 1 जून से अंतर्राज्यीय ई वे बिल सिस्टम लागू हो जाएगा. इससे पहले सामानों की अंतर्राज्यीय परिवहन के लिए 1 अप्रैल 2018 से ई-वे बिल सिस्टम को पूरे देशभर में लागू किया गया था। इसके साथ ही यह फैसला किया गया था कि एक बार सिस्टम के सफलतापूर्वक लागू हो जाने के बाद राज्य के भीतर यानी राज्यान्तरिक ई-वे बिल को भी 15 अप्रैल से चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा.

हर सप्ताह चार से पांच राज्यों को इसमें शामिल किया जाना है. कर्नाटक इस सूची में शामिल होने वाला पहला राज्य था, जिसने 1 अप्रैल से ही राज्यान्तरिक ई-वे बिल सिस्टम को अपनाया। अभी तक 22 राज्य – आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पुडुचेरी, असम और राजस्थान राज्यान्तरिक ई-वे बिल को अपना चुके हैं. तमिलनाडु 2 जून जबकि पश्चिम बंगाल में 3 जून को ये सिस्टम लागू होगा.

यदि आधिकारिक आंकड़ों पर गौर किया जाये तो सिस्टम का समूचा क्रियान्वयन और ई-वे बिलों को देशभर में जनरेट करना सफल रहा है. 13 मई तक, यानी लगभग 45 दिनों की अवधि तक, 4.15 करोड़ ई-वे बिलों को सफलतापूर्वक जनरेट किया जा चुका है, इसमें 1 करोड़ से अधिक ई-वे बिल सामानों के राज्यान्तरिक गतिविधि के लिए जनरेट किये गये हैं। सामानों का अंतर्राज्यीय और राज्यान्तरिक मूवमेंट 3 जून 2018 से अनिवार्य हो जायेगा और इसमें देश भर के व्यवसायों को अपने संबंधित कंसाइनमेंट की योजना बनाने के दौरान कई बातें ध्यान में रखने की जरूरत होगी।

ई-वे बिल लागू होने के बाद कारोबारियों को इन बातों का रखना होगा ध्यान – 

गुड्स की इंट्रा स्टेट मूवमेंट पर 31 मई 2018 तक अलग-२ राज्य में अलग-२ समय पर तारीख की घोषणा करके ई वे बिल लागू होगा |

ई वे बिल सिर्फ़ पचास हजार से ऊपर की कन्साइनमेंट का ही बनेगा |

रूल 138 (7 ) के प्रोविजिएंस को बाद में नोटिफ़िएड किया जायेगा
इस समय पचास हजार से नीचे की कन्साइनमेंट पर ई वे बिल बनाना जरूरी नहीं है,
चाहे एक गाड़ी में कुल माल पचास हजार से ज्यादा हो |

ई वे बिल के लिए कन्साइनमेंट वैल्यू में एक्सेम्पटेड गुड्स की वैल्यू को नहीं जोड़ा जायेगा |

पब्लिक ट्रांसपोर्ट द्वारा गुड्स की मूवमेंट करने के लिए ई वे बिल माल बेचने या खरीदने वाले को बनाना पड़ेगा |

रेलवेज को ई वे बिल बनाना और गुड्स की मूवमेंट के दौरान साथ रखने जरूरी नहीं है,
केवल बिल या डिलीवरी चालान साथ रखना होगा |
परन्तु रेलवेज से गुड्स प्राप्त करने के लिए ई वे बिल जरूरी होगा |

माल प्राप्तकर्ता माल को स्वीकार या अस्वीकार ई वे बिल के वैलिडिटी पीरियड या 72 घंटे जो भी पहले हो तक ही कर सकता है |

जॉब वर्क के लिए जा रहे माल का ई वे बिल रजिस्टर्ड जॉब वर्कर भी बना सकेगा |

माल भेजने वाले द्वारा ट्रांसपोर्टर, कूरियर एजेंसी और ई कॉमर्स ऑपरेटर को ई वे बिल का पार्ट A भरने के लिए अधिकृत किया जा सकेगा |

माल भेजने या प्राप्त करने वाले के स्थान और ट्रांसपोर्टर के स्थान तक 50 किलोमीटर (पहले 10 किलोमीटर ) तक ई वे बिल का पार्ट B भरने की जरुरत नहीं है, केवल पार्ट A ही भरना होगा |

Over Dimensional Cargo (ODC) को ई वे बिल के लिए अधिक वैलिडिटी समय दिया जायेगा |

अगर माल ई वे बिल के वैलिडिटी पीरियड में न पहुंच पाने पर ट्रांसपोर्टर केवल वाजिब कारण होने पर ई वे बिल की वैलिडिटी पीरियड बढ़ा सकेगा |

ई वे बिल की एक दिन की वैलिडिटी बिल बनाने के अगले दिन की मध्य रात्रि को खत्म तक होगी |

बिना किसी विशेष सूचना के किसी गाड़ी को एक बार चेक होने पर किसी भी राज्य / केंद्र शासित प्रदेश में दोबारा चेक नहीं किया जायेगा |

रेलवेज, एयरवेज और वाटरवेज द्वारा माल भेजने पर ई वे बिल माल भेजने के बाद भी बनाया जा सकता है, पर माल बिना ई वे बिल के प्राप्त नहीं किया जा सकेगा |

गुड्स की मूवमेंट Bill-To-Ship-To सप्लाई होने पर ई वे बिल के पार्ट-ए के प्लेस ऑफ़ डिस्पैच से देखी जाएगी |