जयपुर। संजीवनी घोटाले को लेकर राजस्थान की सियासत गरमा गई है। अब इस मामले में अन्य भाजपा नेता भी शामिल हो चले हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने संजीवनी घोटाले के मामले में गजेंद्र सिंह शेखावत के पक्ष में बयान दिया है। जिसके बाद राजस्थान के राजनीतिक हल्के में इस तरह की खबरें हैं एक दूसरे के विरोधी माने जाने वाले दो नेताओं में किसी प्रकार गठजोड़ होने की संभावना है।

सतीश पूनिया ने गजेंद्र सिंह शेखावत का बीच बचाव करते हुए मीडिया में कहा कि अशोक गहलोत तो गजेंद्र सिंह शेखावत पर ऐसा आरोप लगा रहे हैं, जैसे वह खुद ही जांच एजेंसी हो। उन्होंने इस मामले में सवाल करते पूछा कि क्या इस मामले में की जांच में गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ कोई सुबूत आए हैं या कोई ऐसी चीज मिली है जिससे गजेंद्र सिंह शेखावत इस मामले में घोटालेबाज दिख रहे हो? जब ऐसा कुछ नहीं मिला तो मुख्यमंत्री जी एक केंद्रीय मंत्री पर इस तरह के आरोप कैसे लगा सकते हैं?

अपने सवाल रखने के बाद सतीश पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री को राजस्थान की स्थिती पर ध्यान देना चाहिए। सतीश पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री जी का ध्यान कानून व्यवस्था पर नहीं है। आए दिन बस गजेंद्र सिंह शेखावत पर नए नए आरोप मढ़ते रहते हैं। उन्होंने यह आरोप सिर्फ शेखावत पर ही नहीं लगाए बल्कि उनके पूरे परिवार को इस मामले में घसीटा है जो कि अक्षम्य है।

राजनीतिक विश्लेषक सतीश पूनिया के इस बयान के अब अपने-अपने मायने निकाल रहे हैं। प्रदेश की सियासत में वसुंधरा, शेखावत और पूनिया ये तीनों ही एक दूसरे के धुर विरोधी माने जाते हैं तो ऐसे में चुनाव के करीब आते ही सतीश पूनिया द्वारा शेखावत के पक्ष दिया गया बयान अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहा है। क्या वह सत्ता पाने की रेस में वसुंधरा को साइड कर सिर्फ शेखावत के साथ दौड़ना चाहते हैं या फिर उनके साथ इस मामले में भी कोई गठजोड़ हुआ है।

बता दें संजीवनी घोटाले के मामले में शेखावत ने दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पहले ही मानहानि का केस दर्ज करा दिया है। अब ऐसे में यह देखना है कि संजीवनी घोटाले का मामला प्रदेश की सियासत को किस मोड़ पर ले जाता है।

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