नीरज काकोटिया, बालाघाट। मध्यप्रदेश में रंगों का त्योहार होली बड़े धूमधाम के साथ मनाई गई। प्रदेश के कई जिलों में होली पर पुरानी परंपरा निभाई जाती है। इसी कड़ी में बालाघाट जिले फिसलन भरे खंबे में चढ़ने की प्रतियोगिता आयोजित की गई।
होली के अवसर पर बालाघाट के परसवाड़ा के पास ग्राम कुरेंडा में अनोखा आयोजन देखने को मिला। मेले के बीच स्थान पर करीब 25 से 30 फिट ऊंचा एक लकड़ी का खंभा लगाया गया, जिसके ऊपर के आखिरी हिस्से पर लाल कपडे में नारियल बांधा गया। खम्भे पर फिसलन के लिए ग्रीस और आयल की पुताई की गई, जिसके बाद अनूठी प्रतिस्पर्धा शुरू हुई। इस अनूठी प्रतियोगिता के देखने के लिए आस पास गांव के लोग बड़ी संख्या में पहुंचे थे।
पुरस्कार देकर प्रतिस्पर्धा का समापन
इस प्रतिस्पर्धा में खम्भे के ऊपरी हिस्से पर बांधे गए नारियल तक पहुंचने और तोड़कर लाने की प्रक्रिया शामिल रहती है। बिना फिसले नारियल लाने वाले को विजयी घोषित की जाती है। वैसे इस खेल को मध्यप्रदेश के राजकीय खेल मलखम्भ से जोड़कर देखा जा सकता है। स्पर्धा में बड़ी संख्या में गांव के युवक हाथ आजमाते हैं। विजेता प्रतिभागी को पुरस्कार देकर प्रतिस्पर्धा का समापन किया जाता है।
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छड़ी से मारने की परंपरा
इस अनूठी प्रतिस्पर्धा के शुरू होते ही युवाओं ने फिसलन खम्भे पर चढ़ना शुरू किया, जिसके बाद नीचे खड़ी कुछ महिलाओं ने उन्हें छड़ी से पीटना शुरू कर दिया। महिलाओं के मार के बावजूद भी युवाओं की जोर आजमाइश जारी रही, जिसमें कई बार युवाओं को फिसलकर नीचे गिरते देखा गया। कई बार उतार चढ़ाव के बाद आखिरकार एक युवा ने खम्भे पर चढ़कर नारियल तोड़ लाया। उक्त युवक को पुरस्कृत किया गया।
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लागतार 7 साल से एक ही युवक विजेता
प्रतिस्पर्धा में पुरस्कार पाने वाले झामसिंह उइके लगातार सात सालों से विजेता घोषित हो रहे हैं। हालांकि कोशिश बहुत से युवाओं ने की, लेकिन झामसिंह का रिकार्ड कोई नहीं तोड़ पाया। विजेता युवक ने कहा कि इस प्रतिस्पर्धा में सफल होने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। वर्षों से हो रहे आयोजन से आपसी सौहार्द और भाईचारे का संदेश दिया जा रहा है।
62 सालों से जारी
ग्राम के बुजुर्ग टेकराम राणा ने बताया कि यह आयोजन बीते 62 सालों से लगातार जारी है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज वृन्दावन से लट्ठमार होली का स्वरूप लेकर यहां आए थे। उसी की तर्ज पर यह आयोजन शुरू हुआ। तब से लगातार 62 वर्षों से आयोजन जारी है। प्रतियोगिता आपसी प्रेम, भाईचारे और सामाजिक समरसता का संदेश देती है।
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