शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्यप्रदेश के भोपाल गैसकांड के पीड़ितों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार की क्यूरेटिव पिटीशन को खारिज कर दिया है। क्यूरेटिव पिटीशन में 7400 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मुआवजे को लेकर याचिका लगाई गई थी।
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को भोपाल गैस कांड मुआवजे को लेकर सुनवाई हुई। केंद्र की क्यूरेटिव पिटीशन को SC की संविधान पीठ ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार की क्यूरेटिव याचिका पर दखल देने से इंकार कर दिया है। SC ने कहा कि केंद्र को इस मामले में पहले आना चाहिए था न की तीन दशक के बाद। केंद्र ने क्यूरेटिव याचिका में यूनियन कार्बाइड के साथ अपने समझौते को फिर से खोलने की मांग किया था।
केंद्र सरकार भारतीय रिज़र्व बैंक के पास मौजूद 50 करोड़ रुपये का उपयोग लंबित दावों को मुआवजा देने के लिए करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समझौते को सिर्फ फ्रॉड के आधार पर रद्द किया जा सकता है, केंद्र सरकार की तरफ से समझौते में फ्रॉड को लेकर कोई दलील नहीं दी गई। बता दें कि 12 जनवरी को 5 जजों की संविधान पीठ ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था।
गौरतलब है कि 2 और 3 दिसंबर 1984 के बीच वाली रात को भोपाल में यूनियन कार्बाइड कंपनी के कीटनाशक प्लांट से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ। इससे हज़ारों लोगों की मौत हो गई। मौत का आधिकारिक आंकड़ा 3,500 लोगों से अधिक का है। कई रिपोर्ट्स में यह दावा किया जाता है कि गैस के असर से उसी रात मरने वालों और बाद में बीमार होकर मरने वालों की कुल संख्या 15,000 से ज़्यादा की है।
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