पटना.  पिछले साल बिहार बोर्ड के टॉपर्स ने राज्य राज्य की शिक्षा व्यवस्था की जिस कदर भद्द पिटवाई थी, उससे इस साल बिहार बोर्ड पहले से सबक लेकर बैठा हुआ है. बोर्ड रिजल्ट आने से पहले टॉपर स्टूडेंट्स को बुलाकर अलग से टेस्ट लिया हो? वो भी इसलिए कि पूरी तरह से  कन्फर्म किया जा सके कि असली टॉपर वही है.

दरअसल बिहार बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षा का रिजल्ट आने वाला है. तारीख तय की गई है छह जून. अब रिजल्ट आने में एक सप्ताह से भी कम का समय बचा है, तो जाहिर है कि बोर्ड को तो टॉपरों के नाम पता चल ही गए होंगे. अब नाम तो पता हैं, लेकिन असली वही हैं या नहीं, इसे जांचने के लिए बोर्ड ने 1 मई को 100 बच्चों को अपने पास बुलाया.

यहां पर पहले उनका फिजिकल वेरीफिकेशन किया गया. कि सच में पेपर देने वाले वो ही हैं या नहीं. फिर उनसे एक कागज पर लिखवाया गया और आंसर सीट में लिखे उत्तरों से हैंडराइटिंग मैच की. इसके बाद एक्सपर्ट्स ने आईक्यू टेस्ट के लिए सवाल-जवाब किए .

बिहार बोर्ड इस मामले में दूध का जला है. इसलिए वो छाछ को भी फूंक-फूंककर पी रहा है. 2017 में बिहार बोर्ड के टॉपर रहे गणेश राम ने अपनी उम्र गलत बताई थी. बाद में सही उम्र पता चलने पर उसका रिजल्ट रद्द कर दिया था. इससे पहले 2016 में आर्ट्स की टॉपर रूबी राय पॉलटिकल साइंस को कुकिंग से जुड़ा विषय बताया था. सांइस के टॉपर सौरभ श्रेष्ठ भी दोबारा टेस्ट में फेल हो गया था. बाद में इसका भी रिजल्ट रद्द कर दिया था. अबकी बार नाक न कट जाए इसलिए बिहार बोर्ड पहले ही ये कवायद कर रही है ताकी घर की बात घर में ही रह जाए.