राजकुमार दुबे, भानुप्रतापपुर. कांकेर लोकसभा के सांसद मोहन मंडावी का उनके ही लोकसभा में जमकर विरोध हुआ. लोकसभा में सांसद मंडावी ने गोदावरी इस्पात लिमिटेड की आरी डोंगरी लौहखदान पर सवाल उठाए थे, जिसको लेकर हजारो लोग विरोध में उतरे. विरोध के दौरान ही कुछ लोगों ने गुस्से में सांसद मोहन मंडावी का पुतला भी जला दिया.

जानकारी के अनुसार, कांकेर लोकसभा के सांसद मोहन मंडावी ने लोकसभा में पिछले दिनों भानुप्रतापपुर विकासखंड के कच्चे स्थित आरी डोंगरी खदान में अनियमितताओं पर सवाल उठाते हुए जांच करने की मांग रखी. जिसकी सूचना पर ही भानूप्रतापपुर कच्चे में हजारों लोग नाराज होकर एकत्र हुए और उन्होंने बड़ी संख्या में एक सभा आयोजित की. जहां लोगों ने कहा, मूलभूत समस्याओं को छोड़कर सांसद मंडावी रोजगार समाप्त कर रहें हैं.

वहीं इस विरोध प्रदर्शन में हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे, जिसमें बालोद जिले के दल्लीराजहरा, भानूप्रतापपुर, कच्चे और आसपास के ग्रामीण,परिवहन संघों के सदस्य, लेबर यूनियन के लोग बड़ी संख्या में पहुंचे और सभी ने एक स्वर में मोहन मंडावी के इस बयान का विरोध किया. विरोध के दौरान ही कुछ लोगों ने आक्रोशित होकर सांसद मोहन मंडावी का पुतला भी जला दिया.

प्रदेश किसान कांग्रेस के उपाध्यक्ष जनक नंदन कश्यप ने कहा कि, सांसद मूलभूत समस्याओं से ध्यान भटकाकर जो रोजगार के कार्य संचालित हैं, उन्हें भी बंद कराने पर तुले हुए हैं. इसकी हम भर्त्सना करते हैं. स्थानीय विधायक सावित्री मंडावी के साथ इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे. साथ ही आवश्यकता पड़ी तो सांसद के निवास का घेराव भी करेंगे.

आदिवासी नेता मानक दरपट्टी ने कहा कि, इस बात का अंदाजा आप लगा लीजिए कि, 4 सालों बाद सांसद को यह पता चला कि उनके क्षेत्र में संचालित खदान में अनियमितता हो रही है. 4 साल तक कहां थे सांसद? उनके खुद के ट्रक इस खदान में परिवहन कार्य में संलग्न हैं. अगर खदान गलत है तो अपने ट्रकों को भी हटाएं.

वहीं ट्रांसपोर्टर गुरदीप सिंह ने कहा कि, सांसद का यह वक्तव्य निंदनीय है. सांसद को यदि विकास की बात करनी है सही गलत की बात करनी है तो, भानूप्रतापपुर से नारायणपुर मार्ग पर भारी वाहनों को पिछले डेढ़ साल से ग्रामीणों द्वारा रोका जा रहा है. इस मार्ग पर डेढ़ साल से कोई भी भारी वाहन नारायणपुर ना जा सकता ना ही नारायणपुर से भानूप्रतापपुर आ सकता है. हमें 300 किलोमीटर अतिरिक्त चक्कर लगाकर भानूप्रतापपुर आना जाना पड़ता है. इस पर संज्ञान लेना चाहिए, ना कि कोई खदान में क्या हो रहा है इस पर.