दुनिया को राजस्थान का जीरा (Cumin) काफी रास आ रहा है. इसकी बढ़िया गुणवत्ता के चलते हाल ही विदेशों से बड़े ऑर्डर मिल रहे हैं. जीरे की खेती को काफी रिस्की बिजनेस माना जाता है. राजस्थान में देश के कुल जीरे का 28 प्रतिशत उत्पादन होता है. राजस्थान में जीरे की क्वालिटी उच्च होने के बावजूद बिक्री काफी कम होती थी. लेकिन अब किसानों की मेहनत और राजस्थानी मिट्टी, जो जीरे की खेती के एकदम अनुकूल होती है, अपनी ताकत का रंग दिखा रही है.
नागौर समेत पश्चिमी राजस्थान के जिले में उच्च क्वालिटी का जीरा मिलता है. यहां का मौसम, मिट्टी और पानी जीरे की खेती के अनुरूप है. मेड़ता के जीरे की सप्लाई कई राज्यों और देशों को की जाती है. मारवाड़ क्षेत्र का शुष्क वातावरण जीरे के लिए सबसे अच्छा होता है. प्रति हैक्टेयर करीब 5 क्विंटल जीरे की पैदावार का अनुमान लगाया जा रहा है.
जानकारों ने जीरे की बढ़ती कीमतों के मुख्य दो कारण बताए हैं– पहला, इस बार जीरे की खेती पिछले साल के मुकाबले 50 प्रतिशत कम हुई है, जिसकी वजह से बाजारों में मांग के मुताबिक माल नहीं मिल पा रहा है. दूसरा इस बार के खराब मौसम ने फसलों को नष्ट कर दिया. तो कम उत्पादन और ज्यादा मांग की वजह से जीरे की कीमतें बढ़ी हैं. राजस्थान में जीरे के लिए उचित मंडियां नहीं हैं और कीमत भी बहुत कम है. इसलिए किसान उंझा, गुजरात में यात्रा करना और अपनी उपज बेचना पसंद करते हैं, जो एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र है. गुजरात और राजस्थान ऐसा राज्य है, जहां का मौसम जीरे की फसल के लिए अनुकूल होता है.
जीरे के भाव में तेजी
आज के दिन जीरे का भाव 28 हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से चल रहा है. देश के राजस्थान और गुजरात राज्य को जीरा उत्पादक का मुख्य स्थान माना गया है, वर्तमान समय में जीरे के भाव में तेजी देखने को मिल सकती है. क्योंकि देश में इस बार जीरे की बुवाई का क्षेत्रफल घटा है, जिस वजह से पैदावार भी काफी कम हुई है. यही वजह है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार भाव बढ़ा है. पिछले साल की तुलना में 5 से 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल भाव में तेजी देखने को मिल रही है.
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