विप्लव गुप्ता, पेण्ड्रा. कर्ज से पीड़ित किसान की आत्महत्या मामले में शासन-प्रशासन द्वारा लीपापोती करने का मामला सामने आया है. कर्ज से पीड़ित किसान सुरेश सिंह को सहकारी समिति का कर्ज पटाने लगातार नोटिस दिए जा रहा था. जब किसान पर कर्ज पटाने का दबाव बढ़ गया तो, उसने 7 जून को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. उसकी मौत पर लीपापोती करने प्रशासन ने आनन-फानन में उसके खाते में दूसरे दिन याने 8 जून को फसल बीमा की राशि 179547.55 रुपए जमा करा दी. इतना ही नहीं उसके परिवार को रोजगार गारंटी के तहत सिर्फ 8 दिन का ही काम दिया गया, जबकि 150 दिन का काम देना अनिवार्य था.
कर्ज से पीड़ित किसानों की आत्महत्या और उनकी आत्महत्या के बाद मामले पर लीपापोती कोई नई बात नहीं है. मरवाही के पिपरिया में रहने वाला किसान सुरेश सिंह मरावी जिसने बीते 7 जून को कुदरी में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. परिवार वालों का आरोप था कि पीड़ित किसान पर सहकारी समिति का 150000 कर्ज बाकी था. जिसे चुकाने के लिए उस पर लगातार दबाव बनाया जा रहा था. साथ ही नोटिस पर नोटिस जारी की जा रही थी. कर्ज पटाने के दबाव में किसान इतना तनाव में आ चुका था कि उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.
पीड़ित की मां का कहना है सुरेश सिंह उससे हर बात साझा करता था और कर्ज की बात भी उसने उससे बताई थी. मृतक का भाई भी इस बात का आरोप लगा रहा है कि यदि पैसा होता तो मेरा भाई आत्महत्या नहीं करता प्रशासन ने उसकी मौत के दूसरे दिन रुपए जमा किए और मामले पर लीपापोती का प्रयास कर रही है. उसकी मौत के बाद पीड़ित परिवार ने सड़क पर धरना देकर मुआवजे और संबंधित मामले की जांच की मांग की थी. जिसके बाद प्रशासन ने जांच और कार्यवाही की बात भी की थी, पर प्रशासन ने आनन-फानन में एक रिपोर्ट तैयार की जिसमें उन्होंने पीड़ित की मौत का कारण कर्ज ना होना बताया था.
प्रशासन के मुताबिक किसान के खाते में 1 लाख 83 हजार रुपए जमा थे. इसलिए कर्ज और पैसे की कमी जैसी कोई बात नहीं है. जब हमने मामले की तफ्तीश की तो यह मामला सामने आया कि पीड़ित किसान की मौत 7 जून 2018 को हुई थी. जबकि उसके खाते में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की रकम 179547 रूपय 55 पैसे 8 जून को ट्रांसफर किया गया था. जो कि उसकी मौत के दूसरे दिन आया था.
मामले में एसडीएम और कलेक्टर से बात करनी चाही तो उन्होंने इस मामले पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. मौखिक तौर पर यह जरूर बताया कि किसान की मौत कर्ज की वजह से नहीं हुई थी. बल्कि मृत्यु की वजह कोई और थी उस दिनांक को उसके खाते में 180000 रुपए से ज्यादा रकम जमा थी.