प्रदीप मालवीय, उज्जैन। उज्जैन स्थित मंगलनाथ रोड पर श्री अंगारेश्वर महादेव मंदिर के समीप दादूराम आश्रम के संत श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानदास महाराज ने मोक्षदायिनी माँ क्षिप्रा नदी के शुद्धिकरण के लिए पिछले 5 माह से ज्यादा समय से अन्न और चप्पल त्याग रखी है। आमरण अनशन के चलते हुए वह एक बार फिर क्षिप्रा किनारे धरने पर बैठने वाले हैं। उनका कहना है कि यदि क्षिप्रा का शुद्धिकरण नहीं हुआ तो हमें विवश होकर जल सत्याग्रह करना पड़ेगा या मां क्षिप्रा की गोद में जल समाधि लेना पड़ी तो हम वह भी ले लेंगे ।
दादू राम आश्रम के स्वामी ज्ञानदास महाराज पिछले 5 महीनों से अधिक समय से क्षिप्रा शुद्धिकरण के लिए अनशन पर बैठे हैं। उन्होंने लंबे समय से अन्न को त्याग दिया है और अब चरण पादुका को भी त्याग दिया है। वे सिर्फ दूध और फल पर ही आश्रित है। महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानदास महाराज ने बताया कि हमें किसी राजनीतिक पार्टी या शासन का आश्वासन नहीं चाहिए, हमें तो माँ क्षिप्रा का शुद्धीकरण हो रहा है या नहीं इसका प्रमाण चाहिए। यदि शासन-प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं देगा तो हमें जल सत्याग्रह करना पड़ेगा तो हम वह भी करेंगे या फिर माँ क्षिप्रा की गोद में समाधि लेना पड़े तो भी हम ले लेंगे।
संत ज्ञानदास महाराज के अनुसार आगामी वैशाख माह की पूर्णिमा से हम क्षिप्रा नदी के किनारे अनशन पर बैठेंगे और यदि फिर भी माँ क्षिप्रा के शुद्धीकरण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए तो हम जल सत्याग्रह या माँ क्षिप्रा की गोद में जल समाधि लेने के लिए विवश हो जाएंगे। प्रदूषित होती क्षिप्रा नदी और उसमें मिल रहे गंदे नाले साथ ही इंदौर से आने वाली कान्ह नदी का जल भी क्षिप्रा नदी में मिलने की लगातार खबरें आती है। इन सब से आहत होकर संत ज्ञानदास महाराज ने ताल ठोकी है। महाराज ने बताया कि उन्होंने पहले भी क्षिप्रा किनारे अनशन किया था तब जनप्रतिनिधि एवं अधिकारियों ने क्षिप्रा शुद्धीकरण को लेकर ठोस कदम उठाए जाने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक स्थिति जस की तस बनी हुई है।
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