कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। स्वर्णरेखा नदी को पुनर्जीवित करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने मप्र शासन की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई है। शासन की ओर से नदी को पुनर्जीवित करने की रिपोर्ट पेश न करने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है। जस्टिस रोहित आर्या और जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह की डिवीजन बेंच ने कहा- जिस शहर में नदी होती है, वहां समृद्धि आती है। जब भगवान ने शहर में नदी दी है, तो उसे बचाने की जिम्मेदारी हमारी है ना। कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह होगी।
हाईकोर्ट ने शासन की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता से कहा कि वे अधिकारियों से कहें कि वे अपनी आदत सुधारें और कुछ काम भी करें। नहीं तो हमें पता है कि कैसे काम लिया जाता है? कुछ ऐसा करिए, जिससे ग्वालियर के लोगों का भला हो। कोर्ट ने साबरमती नदी और काशी विश्वनाथ का उदाहरण देते हुए कहा कि नामुमकिन कुछ भी नहीं है।
बता दें कि मामले में फरवरी में हुई सुनवाई में कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट केएन गुप्ता को न्यायमित्र नियुक्त किया है और पीएस को नदी को पुनर्जीवित करने हेतु रिपोर्ट बनाने का निर्देश दिया था। एक जानकारी के मुताबिक 23 साल में स्वर्णरेखा नदी पर लगभग 107 करोड़ रुपए फूंके गए है। लेकिन हालात नहीं सुधरे है। वहीं नदी को पुनर्जीवित करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई है।
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