कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्यप्रदेश में डॉक्टरों की हड़ताल से परेशानी बढ़ गई है। ग्वालियर (Gwalior) जिले के एक अस्पताल में भर्ती मरीज की मौत (patient death) हो गई। इलाज के अभाव में दम तोड़ने का आरोप लगा है। वहीं मृतक के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मरीज मनीष बाथम को 1 महीने पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। देर रात हालत बिगड़ गई थी। पैरों के साथ सांस लेने में भी तकलीफ थी। मृतक लधेड़ी मछली मंडी इलाके का रहने वाला बताया गया है।
दरअसल, प्रदेश में 15 हजार से अधिक डॉक्टर अपनी मांगों को लेकर बुधवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है। डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है।हड़ताल का असर पहले दिन ही कुछ ही घंटों में दिखने लगा। अस्पताल में भर्ती मरीजों को जबरदस्ती डिस्चार्ज किया जा रहा है। ऐसे में प्राइवेट अस्पतालो में मरीजों को रेफर किये जाने के दावे भी खोखले नजर आ रहे है।
स्वास्थ्य मंत्री के बाद वित्त मंत्री के बंगले का घेराव
संविदा कर्मचारियों ने स्वास्थ्य मंत्री के बाद वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के बंगले का घेराव किया है। इस दौरान संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने जमकर नारेबाजी की। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा से मुलाकात कर कर्मचारियों ने ज्ञापन सौंपा है। संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने सरकार को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही मांगों पर निर्णय ले। वहीं पुलिस ने संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को हटाया है। संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी जेपी अस्पताल में धरने पर बैठे है।
समर्थन में उतरी कांग्रेस
कांग्रेस हड़ताल पर गए डॉक्टर के समर्थन में उतर गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा- प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। इससे जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। इस पूरे मामले में सरकार ने गंभीरता से डॉक्टरों की बात नहीं सुनी और कल शासन के शीर्ष स्तर से सिर्फ भटकाने वाले बयान सामने आते रहे।
आज भी सुबह से मुख्यमंत्री और अन्य वरिष्ठ मंत्री अन्य बातों से लोगों का ध्यान भटकाने में लगे हुए हैं, लेकिन चिकित्सकों की मांगों पर गंभीरता से विचार करने, उन पर न्यायोचित कार्यवाही करने और जनता को इस परेशानी से बचाने के लिए कोई ठोस कार्यवाही करते नजर नहीं आ रहे हैं। मैं मुख्यमंत्री से अपील करता हूं कि जनता का ध्यान भटकाने और डॉक्टरों से वादाखिलाफी करने के बजाए वे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर ध्यान दें और डॉक्टरों की मांगों पर तत्काल विचार करें।
सरकार में आ चुका घमंड- पूर्व मंत्री
पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा कि डॉक्टरों की उपेक्षा के कारण आज ये हालात बने। मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार सत्ता के नशे में चूर है। आखिर क्यों सरकार इनकी मांग पूरी नहीं कर रही है। एमपी की भाजपा सरकार घमंड में आ चुकी है। डॉक्टर की मांगे जायज, उसे पूरा होना चाहिए। अहंकार में आने के बाद ऐसा ही बर्ताव किया जाता है। आज सभी वर्ग सरकार से परेशान है।
सरकार पूरी तरह अलर्ट- स्वास्थ्य मंत्री
स्वास्थ मंत्री प्रभु राम चौधरी ने कहा कि हड़ताल को लेकर सरकार पूरी तरह से अलर्ट है। उन्होंने कहा कि कंट्रोल रूम बनाकर जिलों पर निगरानी रख रहा हूं। डॉक्टरों का हड़ताल पर जाना गलत है। उनकी 90 फीसदी मांगें मानी गई। स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टरों से अपील करते हुए कहा कि मानवता को ध्यान में रखते हुए काम पर वापस लौट आएं। डॉक्टरों से बातचीत के दरवाजे खुले हुए, डॉक्टर आकर हमसे बात करें। कमेटी बनाकर डॉक्टरों के अधिकतर मांग पूरी की गई। आज एक बार फिर बातचीत की जाएगी। हमें उम्मीद जल्द समस्या का हल निकलेगा।
मॉनिटरिंग जारी
मध्यप्रदेश में सरकार की मॉनिटरिंग जारी है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कंट्रोल रूम बनाया है। मंत्री सारंग के साथ, हेल्थ कमिश्नर डॉक्टर सुदाम खाडे, चिकित्सा शिक्षा आयुक्त जॉन किंग्सली और हेल्थ कॉरपोरेशन के एमडी पंकज जैन स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी कर रहे हैं। प्रदेश के अलग-अलग अस्पतालों में फोन कर व्यवस्थाओं की जानकारी ली जा रही हैं। चिकित्सा शिक्षा मंत्री कंट्रोल रूम से प्रदेश के अस्पतालों की व्यवस्थाओं की जानकारी ले रहे।
हाईकोर्ट में लगी पीआईएल
डाक्टरों की हड़ताल को लेकर हाईकोर्ट में पीआईएल लगाई गई है। जिसमें हड़ताल को अवैध करार देने की मांग की गई। हाईकोर्ट में अर्जेंट बेस पर सुनवाई करने की मांग है। कुछ देर के बाद हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। सरकार की ओर से सरकारी वकील पैरवी करेंगे।
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