अजय शर्मा,भोपाल/कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। मध्य प्रदेश में डॉक्टरों की बेमियादी हड़ताल के बाद अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हो गई है। कहीं मरीज इलाज के लिए तरस रहे है, तो कहीं मृतकों का पोस्टमार्टम तक नहीं हो पा रहा है। ऐसे में पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था का बुरा हाल है। वहीं राजधानी भोपाल में हालातों को बेहतर बनाने औऱ व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए अधिकारियों की फ़ौज को मैदान में उतारने की तैयारी है। संभागायुक्त माल सिंह और कलेक्टर आशीष सिंह जीएमसी मेडिकल कालेज और हमीदिया अस्पताल दोबारा निरीक्षण करने पहुचे। निजी अस्पतालों में भर्ती कराने के लिए मरीजों को भेजा जा रहा है। वहीं  गंभीर बीमारी ,दुर्घटना  और अन्य भर्ती होने वाले मरीजों को चिरायु मेडिकल कालेज में भर्ती करने के लिए रवाना कराया गया है। तो इधर ग्वालियर में भी अस्पतालों का यही हाल है। लोग पोस्टमार्टम कराने तक के लिए भटकते नजर आ रहे है। पर उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। 

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ग्वालियर में भी हुआ बुरा हाल    

इधर ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल में आईसीयू में भर्ती एक मरीज की मौत हो गई। तो वहीं अस्पताल में शवों का पोस्टमार्टम भी अटक गए है। बुधवार को हादसों और अन्य घटनाओं में जान गवाने वाले 5 लोगों के शव का पीएम होना था लेकिन डॉक्टरों की हड़ताल के चलते पीएम अटक गया है। ऐसे में पीएम हाउस के बाहर लोग 24 घंटे से अपने परिजनों के शव के लिए दुखी हो रहे है। ग्वालियर के जयरोग्य अस्पताल के 350 डॉक्टर और स्वास्थ विभाग के 140 डॉक्टर भी हड़ताल पर हैं। डॉक्टरों की हड़ताल के चलते सरकारी अस्पतालों में हाहाकार मच गया है। ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल में डॉक्टरों की हड़ताल के चलते हादसों और अन्य कारणों से जान गंवाने वाले लोगों के शवों के पोस्टमार्टम अटक गए हैं।  

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पोस्टमार्टम हाउस में 5 डेड बॉडी पीएम के लिए रखी हुई है लेकिन हड़ताल के चलते डॉक्टरों ने इन शवो का सीएम करने से इंकार कर दिया। हड़ताल कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि शवों का पीएम कराना भी अब प्रशासन की जिम्मेदारी है। ग्वालियर जिले के मऊ जवाहर गांव के रहने वाले संतोष बाथम 24 घंटे से पोस्टमार्टम हाउस के बाहर बैठे हुए हैं। संतोष बाथम के भतीजे नरेंद्र बाथम ने मंगलवार को कीटनाशक पीकर खुदकुशी कर ली थी। डॉक्टरों की हड़ताल के चलते नरेंद्र के शव का पीएम नहीं हो पाया है।  संतोष बाथम का कहना है कि हड़ताल के चलते उनके भतीजे के शव का पीएम नहीं हो पाया है वहीं परिवार में मातम पसरा है।  उधर हजीरा इलाके में रहने वाली कामना बघेल नाम की लड़की ने भी मंगलवार को फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। परिजनों का कहना है कि डॉक्टरों ने हड़ताल का हवाला देकर कामना के शव का पीएम करने से इंकार कर दिया है अब वो शव के लिए अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस के बाहर ही बैठे हैं।

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ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल में रोजाना करीब 9 शवों का पीएम होता जाता है। ग्वालियर के साथ ही उत्तर प्रदेश और राजस्थान के सीमावर्ती जिलों से हादसे या अन्य कारणों से जान गवाने वाले लोगों का पीएम ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल में किया जाता है।पोस्टमार्टम हाउस में कुल 9 फ्रीजर है जिनमें नो डेड बॉडी रखी जा सकती है। यही वजह है कि यहां रोजाना हादसों या अन्य पुलिस केस में लाए जाने वाले शव का पीएम तत्काल किया जाता है। लेकिन हड़ताल के चलते बुधवार को 5 शवों का पीएम नहीं हो पाया है। अगर हड़ताल 2 दिन चलती है तो फिर पोस्टमार्टम हाउस में शवों को रखने के लिए संकट खड़ा हो जाएगा क्योंकि यहां कुल 9 शवों को रखने के लिए ही फ्रीजर की व्यवस्था है। जयारोग्य अस्पताल के डॉ. माखन सिंह का कहना है  कि वह अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं ऐसे में पोस्टमार्टम भी नहीं करेंगे। साथ ही पोस्टमार्टम के प्रभारी डॉक्टरों का कहना है कि पोस्टमार्टम करना भी अब प्रशासन के जिम्मे है क्योंकि उनकी मांगे पूरी होने तक कोई काम नहीं करेंगे।

कमलनाथ ने सरकार से की अपील  

वहीं डॉक्टरों के हड़ताल पर कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। इससे जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। इस पूरे मामले में सरकार ने गंभीरता से डॉक्टरों की बात नहीं सुनी और कल शासन के शीर्ष स्तर से सिर्फ भटकाने वाले बयान सामने आते रहे। आज भी सुबह से मुख्यमंत्री और अन्य वरिष्ठ मंत्री अन्य बातों से लोगों का ध्यान भटकाने में लगे हुए हैं, लेकिन चिकित्सकों की मांगों पर गंभीरता से विचार करने, उन पर न्यायोचित कार्रवाई करने और जनता को इस परेशानी से बचाने के लिए कोई ठोस कार्रवाई करते नजर नहीं आ रहे हैं।मैं मुख्यमंत्री से अपील करता हूं कि जनता का ध्यान भटकाने और डॉक्टरों से वादाखिलाफी करने के बजाए वे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर ध्यान दें और डॉक्टरों की मांगों पर तत्काल विचार करें।

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