विप्लव गुप्ता, पेन्ड्रा. नया शिक्षण सत्र प्रारंभ हुए 10 दिन से अधिक हो गए हैं, बावजूद स्कूलों की व्यवस्था अभी भी काफी लचर बनी हुई है. ना तो शिक्षक स्कूल आ रहे हैं और ना ही बच्चों को मीनू के अनुसार मिड डे मील दिया जा रहा है और जहां भोजन दिया भी जा रहा है, तो वहां मिल रही है सड़ी हुई घुन लगी दाल, वो भी बिना सब्जी के, तो कहीं हफ्तों से सिर्फ आलू की सब्जी ही खिलाई जा रही है.

सरकार ने सभी स्कूलों में दीवार पर मेनू चार्ट लगवा रखा है. पर क्या इस मेनू चार्ट के अनुसार भोजन दिया जा रहा है या नहीं इसे देखने की फुर्सत किसी के पास नहीं है. अपनी साफ मंशा के अनुसार सरकार ने हर दिन के अनुसार अलग-अलग प्रकार के पौष्टिक भोजन स्कूल में ही बनाकर खिलाने की व्यवस्था कर रखी है.

आज शुक्रवार के अनुसार बच्चों के थाली में चावल, मिक्स दाल, पापड़, टमाटर की चटनी, पत्ता गोभी की सब्जी और चना होना चाहिए था, लेकिन जब इन स्कूलों में मीडिया की टीम पहुंची, तो जो दाल बच्चों को खिलाने के लिए रखी गई थी. वह पूरी तरह सड़ी और घून हुई थी. रसोइया खुद ही इसे खाने योग्य नहीं होने की बात कह रहा है.

जबकि 16 जून से शुरू हुए शिक्षा सत्र में एक भी दिन मीनू के अनुसार भोजन नहीं परोसा गया और तो और जहां सब्जियां दी गई, वहां सब्जी के नाम पर हफ्तों से सिर्फ आलू ही खिलाया जा रहा है तो कुछ स्कूल ऐसे हैं जहां सब्जी ही नहीं दी गई. शिक्षक भी भोजन व्यवस्था से संतुष्ट नहीं है, वह भी जानते हैं कि मेन्यू के अनुसार भोजन नहीं दिया जा रहा है पर शिकायत करने की जहमत कौन उठाएं, क्योंकि स्कूल के प्रधान पाठक जिन्हें भोजन चखना है, वहीं नदारत हैं. तो सहायक शिक्षक ने यह जरूरी नहीं समझा कि भोजन खाया. जाए वहीं कुछ प्रधान पाठक तो स्व सहायता समूहों की पैरवी करने ही कहने लगे कि शायद आज स्व-सहायता समूह के पास यही बचा होगा, इसलिए बच्चों को यही खिला रहे हैं.

वैसे तो व्यवस्था संचालन के लिए और उस पर नजर बनाए रखने के लिए विकासखंड कार्यालय में बीइओ, एबीईओ सहित मध्यान्ह भोजन प्रभारी नियुक्त किये गये है. जिनकी जिम्मेदारी प्रतिदिन व्यवस्था देखने और बनाने की भी है.

जब इस बात की जानकारी पेण्ड्रा बीईओ रामसिंह परस्ते को दी गई तो उन्होंने संबंधित शिक्षकों और समूहों को नोटिस जारी कर कार्यवाही और शीघ्र ही व्यवस्था बनाने की बात कही.