भोपाल। कर्नाटक में कुछ दिन में विधानसभा चुनाव होने हैं. उससे पहले कांग्रेस के घोषणापत्र को लेकर राजनीति गरमा गई हुई है. कांग्रेस के घोषणा पत्र का एक वादा गले की फांस बन गया है. बजरंग दल पर ‘बैन’ लगाने को लेकर कांग्रेस चौतरफा घिर रही है. अब हमेशा की तरह लेखक और गीतकार मनोज मुंतशिर (Manoj Muntashir) का भी रिएक्शन सामने आया है. कर्नाटक चुनाव के पहले चुनावी मैदान में मनोज मुंतशिर कूद गए हैं. उन्होंने कहा कि बजरंग दल पर बैन लगाना, अप्रत्यक्ष रूप से हनुमान जी का नाम लेने वालों पर बैन लगाना है. अब सब कुछ वोटर्स तय करेंगे.
गीतकार और लेखक मनोज मुंतशिर (Manoj Muntashir) ने ट्वीट कर लिखा है कि त्रासदी देखिए, त्रेता में श्री राम को जन्मभूमि छोड़ के वनवास लेना पड़ा. कलियुग में बजरंगबली को उनकी जन्मभूमि से निर्वासित करने की तैयारी हो रही है. बजरंग दल पर बैन लगाना, अप्रत्यक्ष रूप से हनुमान जी का नाम लेने वालों पर बैन लगाना है. कर्नाटक के सम्मानित वोटरों को सिर्फ़ दो दिन बाद तय करना है, वो बजरंगबली के साथ हैं, या अधर्म के साथ! ईश्वर हम सबको सद्बुद्धि दे! जय श्री राम, जय हनुमान!
घोषणा पत्र का एक वादा बना गले का फांस
बता दें कि कर्नाटक में कांग्रेस ने घोषणा पत्र जारी कर बजरंग दल पर ‘बैन’ लगाने की कही है. जिसके बाद से पूरे देश में बवाल मचा हुआ है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में प्रचार अपने अंतिम दौर में पहुंच गया है. कांग्रेस के घोषणा पत्र का एक वादा गले की फांस बन गया है. सत्ता में आने पर कांग्रेस पार्टी द्वारा बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का वादा चर्चा का विषय बना है.
भाजपा ने इसे मुद्दा बना दिया है और कांग्रेस पर हिंदू विरोधी और विशेष रूप से हनुमान विरोधी होने का आरोप लगाया है. जिस दिन कांग्रेस का घोषणापत्र जारी किया गया, उसी दिन प्रधानमंत्री ने इसे अपने चुनावी अभियान में केंद्र बिंदु बनाया. ऐसे में राजनीतिक जानकार भी सोच रहे हैं कि क्या यह विवाद गेम चेंजर साबित होगा.
कौन हैं मनोज मुंतशिर
गौरतलब है कि मनोज मुंतशिर का जन्म 27 जनवरी 1976 के दिन अमेठी (उत्तर प्रदेश) के गौरीगंज में हुआ था. मनोज हिंदू ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उन्हें बचपन से ही पढ़ने-लिखने का शौक था. शुरू से ही उन्होंने तमाम कवियों और लेखकों के बारे में पढ़ाई की. साथ ही कई कविताएं भी लिखीं. उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से 1999 में अपनी पढ़ाई पूरी की थी. कवि आज किसी भी पहचान के मोहताज नहीं है. उन्होंने अपने बेहतरीन लेखन से इंडस्ट्री में खास जगह बनाई है.
मनोज मुंतशिर गायक लेखक, कवि, डायलॉग राइटर और स्क्रीन राइटर हैं. उनका असली नाम मनोज शुक्ला है. एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया था कि किस तरह उन्होंने अपना नाम मनोज शुक्ला से मनोज मुंतशिर किया. वह बताते हैं कि 1997 के दौरान देर रात वह चाय की एक टपरी पर पहुंचे थे. वहां रेडियो बज रहा था और उन्होंने पहली बार मुंतशिर शब्द सुना था.
उन्हें यह शब्द बेहद पसंद आया, जिसके बाद उन्होंने इस शब्द को अपने नाम के आगे जोड़ने का मन बना लिया. हालांकि उन्हें अपने पिता से इस बारे में बात करने में संकोच हो रहा था. ऐसे में उन्होंने अपने घर की नेमप्लेट पर मनोज शुक्ला की जगह मनोज मुंतशिर लिखवा दिया. जिससे उनके पिता काफी नाराज हो गए. मनोज के मुताबिक, उनके पिता को लगा कि उन्होंने धर्म परिवर्तन कर लिया.
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