फीचर स्टोरी। भूपेश सरकार फिर सरकारी खजाना खोलने वाली है. ग्रीन गोल्ड से फिर पैसों की बारिश होगी, फिर मेहनतकशों के खाते में खुशियां बरसने वाली है. ये हम इसलिए कह रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में हरा सोना यानी तेंदू पत्ते की तोड़ाई शुरू हो गई है. प्रदेश के बनवासी, ग्रामीण, किसान और मजदूर परिवारों की गठरी वनों की ओर बढ़ रही है. हरे सोने की तलाश में निकल पड़े हैं. इन मेहनतकशों का सरकार विशेष ख्याल रखती है.अच्छे दामों में तेंदूपत्ता खरीदकर सरकार बस्तर से लेकर पूरे छत्तीसगढ़ के मेहनकशों को मजबूत और खुशहाल कर रही है.
दरअसल, रोजगार, स्व-रोजगार, स्थानीय संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और उद्यमिता विकास को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने अभूतपूर्व कार्य किए हैं. इन चार वर्षों में ग्रामीण तबके और सुदूर वनांचल क्षेत्रों में रहने वाले जरूरतमंद लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुंचा है, जिसके परिणाम स्वरुप प्रदेश के बनवासी, ग्रामीण, किसान, मजदूर और कारीगर वर्ग को बड़ा लाभ हुआ है. छत्तीसगढ़ सरकार के जनहितैषी नीतियों का ही परिणाम है कि आज प्रदेश का हर वर्ग आर्थिक रूप से सशक्त और सम्पन्न हो रहा है.
इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के वनांचल क्षेत्रों में निवास करने वाले वनवासी और आदिवासियों के हित में और वनों में उनके अधिकारों को और अधिक दृढ करने और वनोपज से आय में वृद्धि के सपने को साकार करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं. अब फिर से सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने आदिवासी और बस्तरवासी तेंदूपत्ता एकत्रित करने निकल पड़े हैं, ताकि उन्होंने मेहनत की अच्छी खासी रकम मिल सके.
2022 में 630 करोड़ रुपये की कमाई
बता दें कि छत्तीसगढ़वासियों ने 2022 में तेंदूपत्ता बेचकर 630 करोड़ रुपये की कमाई की थी. चालू वित्तीय वर्ष में 15 लाख 78 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण किया गया था, जो राज्य सरकार के लक्ष्य का करीब 94 फीसदी था. 2022 में तेंदू पत्ता का कलेक्शन अन्य साल से ज्यादा था. वहीं, 2022 में 12 लाख से अधिक लोगों ने तेंदूपत्ता की बिक्री की थी.
2021 के मुकाबले 21 फीसदी ज्यादा कलेक्शन
छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता समर्थन मूल्य पर खरीदा जाता है. इसलिए राज्य के आदिवासी-वनवासी हर साल गर्मियों में जंगलों से तेंदूपत्ता इकट्ठा करते हैं. इससे उन्हें रोजगार के साथ-साथ अच्छा मुनाफा भी मिलता है.
बता दें कि प्रदेश में वर्ष 2020 में 9 लाख 73 हजार मानक बोरा एवं वर्ष 2021 में 13 लाख 6 हजार मानक बोरे का संग्रहण किया गया था, लेकिन इस वर्ष 15 लाख 78 हजार मानक बोरे का संग्रहण किया गया है.
इन जिलों से सर्वाधिक तेंदूपत्ता संग्रहण
राज्य लघु वनोपज संघ से प्राप्त जानकारी के अनुसार जगदलपुर वन वृत्त के बीजापुर वन प्रमंडल में अब तक 52 हजार संग्राहकों ने 32 करोड़ रुपये के तेंदूपत्ता का विक्रय किया है. जो 80 हजार 324 मानक बोरा है. सुकमा में 44 हजार संग्राहकों ने 40 करोड़ रुपए के तेंदूपत्ता की बिक्री की.
एक लाख मानक बोरा है, दंतेवाड़ा में 20 हजार 323 संग्राहकों ने आठ करोड़ रुपये मूल्य के 19 हजार 408 मानक बोरा तेंदूपत्ता बेचा है. इसी प्रकार जगदलपुर में 43 हजार 178 संग्राहकों ने 6.56 करोड़ रुपये मूल्य के 16 हजार 396 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण किया है.
तेंदूपत्ता के दाम कई गुना बढ़ गए
गौरतलब है कि तेंदूपत्ता की एक बोरी में एक हजार सूखे पत्तों का एक पैकेट होता है और प्रत्येक पैकेट में 50 पत्ते होते हैं. इसकी पत्तियां तोड़ने में वनवासियों और आदिवासियों को काफी समय लगता है, लेकिन तेंदू पत्ते से भी काफी मुनाफा कमाया जा रहा है, क्योंकि राज्य गठन के समय 2000 में एक बोरा तेंदूपत्ता की कीमत 400 रुपये थी. वहीं 2022 तक यह राशि कई गुना बढ़कर 4000 रुपये हो गई है. समर्थन मूल्य में वृद्धि के कारण वनवासी इसमें अधिक रुचि दिखा रहे हैं. तेंदूपत्ता संग्रहण पहले से अधिक.
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