कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्यप्रदेश के न्यायालयों में 25 चिन्हित प्रकरणों के निराकरण को लेकर चल रहे विवाद का आखिरकार निपटारा हो ही गया। एमपी हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) के रजिस्ट्रार जनरल राम कुमार चौबे के जारी आदेश के बाद यह निपटारा हुआ है। आदेश के तहत अब 10 साल या उससे अधिक समय से लंबित प्रकरणों को ही 25 चिन्हित प्रकरणों की सूची में शामिल किया जाएगा।
नई व्यवस्था में 25 प्रकरणों के निराकरण में भी फेरबदल किया गया है। जिसके चलते नए फेरबदल से वकीलों और न्यायाधीशों पर काम का अतिरिक्त दबाव कम होगा। पुराने केस भी निर्धारित समय सीमा में निराकृत हो सकेंगे। इसके अलावा न्यायाधीशों को भी सलाह दी गई है कि 3 माह के भीतर 25 चिन्हित प्रकरणों के निराकृत करने का टारगेट पूरा करने के फेर में जल्दबाजी नहीं करें।
आपको बता दें कि पुराने आदेश में 5 साल पुराने प्रकरणों को भी 25 चिन्हित प्रकरण की सूची में शामिल कर 3 महीने के भीतर निराकृत करने के आदेश थे। पुराने आदेश के खिलाफ मध्य प्रदेश स्टेट बार काउंसिल के आव्हान पर प्रदेशव्यापी हड़ताल हुई थी। जिसके कारण पक्षकारों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था। वकीलों की हड़ताल से कामकाज पूरी तरह से प्रभावित हुआ था।
MP में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल: आईएएस अफसरों के प्रभार में हुआ बदलाव, आदेश जारी…
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने स्टेट बार काउंसिल (State Bar Council) के अध्यक्ष से चर्चा कर समाधान का आश्वासन दिया था। पुरानी व्यवस्था में बदलाव करने के आश्वासन पर स्टेट बार काउंसिल मध्य प्रदेश ने हड़ताल वापस ली थी। नई व्यवस्था से जुड़े निर्देश जारी होने के चलते स्टेट बार काउंसिल मध्य प्रदेश के अध्यक्ष प्रेम सिंह भदौरिया का कहना है कि नई व्यवस्था से वकीलों के साथ पक्षकारों को लाभ मिलेगा न्याय व्यवस्था पर लोगों का विश्वास भी बढ़ेगा।
Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक