शब्बीर अहमद,भोपाल। मध्यप्रदेश के दमोह (Damoh) जिले में गंगा जमना स्कूल में हिंदू लड़कियों को हिजाब (Hijab) पहनाकर टॉपर्स की लिस्ट में दिखाया गया है. तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद बवाल मचा और जांच के निर्देश दिए गए. अब इसे ड्रेस कोड बताया जा रहा है. इस मामले स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने भी पल्ला झाड़ लिया है. उन्होंने कहा कि एमपी में ड्रेस कोड के लिए कोई नियम नहीं है. कोई भी स्कूल अपने हिसाब से ड्रेस कोड तय कर सकता है. कलेक्टर और एसपी को इस मामले में कार्रवाई करना चाहिए. हमारे हाथ कार्रवाई को लेकर हाथ बंधे हुए है.
ऐसे स्कूल में परिजन अपने बच्चे को न भेजें– शिक्षा मंत्री
स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि ड्रेस कोड को लेकर एक नीति बनना चाहिए. मैं सभी स्कूल में एक ड्रेस लागू के पक्ष में हूं. इस मामले के जांच के निर्देश दिए हैं. परिवार और बच्चों को बुलाकर पूछताछ की जाएगी. मामले जो दोषी पाया जाएगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी. ऐसे स्कूल में परिजन अपने बच्चे को न भेजें, जहां इस तरह की शिक्षा दी जाती है. अगल दिशा देने वाले स्कूलों में बच्चों को न भेजें.
हिंदू संगठन ने जताया विरोध
वहीं दमोह की घटना पर हिंदूवादी संगठन सड़क पर उतर आए हैं. बाइक रेली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया. इस मामले में आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की गई है. घटना को लेकर हिंदूवादी संगठन में काफी आक्रोशित है. इस पर बीजेपी ने आपत्ति जताते हुए जांच की मांग की है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो (Priyank Kanoongo) ने इस मामले में संज्ञान लिया है.
स्कूल प्रबंधन ने कहा- छात्राओं ने स्कार्फ पहना है
गंगा जमुना स्कूल में पोस्टर वायरल होने के मामले में स्कूल प्रबंधन का कहना है कि इस पोस्टर में छात्राओं ने स्कार्फ पहना हुआ है. वह ड्रेस कोड में है और इसकी केंद्र और राज्य शासन से अनुमति भी ली गई है. वही जो लोग यह आरोप लगा रहे हैं कि यह हिजाब है, तो उनके आरोप गलत और बेबुनियाद हैं. गंगा जमना स्कूल के मालिक मुहम्मद इदरीश है.
2012 से है स्कूल का ड्रेस- कलेक्टर
लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में दमोह कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने कहा कि शुरुआती जांच में ऐसा आरोप सिद्ध नहीं हुआ है. जबरदस्ती वाली बात भी सामने नहीं आई है. उनके परिजन और बच्चों से यह नहीं कराया गया है. यह 2012 से चल रहा है. स्कूल का ड्रेस ही ऐसा है. कलेक्टर ने यह भी कहा कि ये हिजाब नहीं है. हालांकि इसके विस्तृत जांच के निर्देश दे दिए गए हैं.
ट्वीट कर आरोपों को बताया गलत
दमोह कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि गंगा जमुना स्कूल के पोस्टर को लेकर कुछ लोगों द्वारा भ्रम फैलाई जा रही है. थाना प्रभारी कोतवाली और जिला शिक्षा अधिकारी से जांच कराए जाने पर आरोप गलत पाए गए. जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है. ट्वीट के नीचे एसपी ने रिट्वीट कर लिखा है कि जांच पर आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं.
क्या यही गजब गंगा जमना तहजीब है- बीजेपी
बीजेपी नेता सुरेंद्र शर्मा ने ट्वीट कर लिखा है कि क्या यही गजब गंगा जमना तहजीब है. इस विद्यालय की तो मान्यता रद्द होना चाहिये. जो #thekerlastory में देखा था यहां तो साक्षात हो रहा है. मेरा गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा जी से आग्रह है कि धर्मांतरण को बढ़ावा देने के लिये इस विद्यालय के संचालकों के खिलाफ़ कानूनी कार्यवाही हो. एक औऱ ट्वीट कर लिखा कि क्या @CollectorDamoh और @SP_DAMOHMP ने गंगा जमुना स्कूल को क्लीनचिट देने में कुछ ज्यादा ही जल्दबाजी नहीं दिखाई है. जिन बेटियों के फोटो हिजाब में दिखाए गए है क्या उन सबके बयान पुलिस ने ले लिए हैं ? दमोह प्रशासन की यह जल्दवाजी मध्यप्रदेश में भी कोई #TheKeralaStory बनवा देगी.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने लिया संज्ञान
वहीं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी इस मामले में संज्ञान लिया है. आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने दमोह कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को जांच के निर्देश दिए है. प्रियंक कानूनगो ने ट्वीट कर लिखा- मध्यप्रदेश के दमोह ज़िले में एक स्कूल द्वारा हिंदू और अन्य ग़ैर मुस्लिम बच्चियों को स्कूल यूनीफॉर्म के नाम पर जबरन बुर्का व हिजाब पहनाये जाने की शिकायत प्राप्त हुई है. इसका संज्ञान लिया जा रहा है एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु दमोह कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक को निर्देश प्रेषित किए जा रहे हैं.
गृहमंत्री ने दिए जांच के आदेश
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि इस मामले की गहन जांच के लिए मैंने एसपी को निर्देश दिए हैं. साथ ही जिला शिक्षा अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं. बच्चियों की परिवारों के तरफ से कोई शिकायत अभी तक सामने नहीं आई है.
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