नई दिल्‍ली. दिल्‍ली के बुराड़ी में ग्‍यारह लोगों की रहस्‍यमय मौत के बाद हर कोई हैरत में है. इस घटना के बाद कुछ सवालों को लेकर भी बहस जारी है. ज्‍यादातर लोगों के जुबान पर सबसे बड़ा सवाल यही है कि इतनी संख्‍या में एक परिवार के लोग एक साथ कैसे आत्‍महत्‍या कर सकते हैं. इसका जवाब फिलहाल पुलिस तलाश कर रही है. लेकिन आपको बता दें कि इस तरह का यह अकेला मामला नहीं है जब इतनी संख्‍या में लोगों ने इस तरह का घातक कदम उठाया हो. इतिहास पर यदि नजर डालेंगे तो इस तरह से सामूहिक आत्‍महत्‍या के कई मामले मिल जाएंगे. इनमें ऐसे मामले भी हमारे सामने हैं जहां पर सामूहिक आत्‍महत्‍या की वजह के पीछे तंत्र-मंत्र की बात सामने आई. आपको बता दें कि बुराड़ी मामले में भी इसी तरह की बात सामने आ रही है.

पिपुल्‍स टेंपल
1978 में 18 नवंबर को 918 लोगों ने सामूहिक आत्‍म्‍हत्‍या की थी. इसमें 276 बच्‍चे भी शामिल थे. यह घटना इंडियाना की है. इसको जोंसटाउन भी कहा जाता है. इस घटना का पूरी दुनिया में काफी शोर सुना गया. घटना के बाद एक टेप भी सामने आया जिसमें सामूहिक आत्‍महत्‍या की बात करते सुना गया था. इतना ही नहीं इस टेप में आत्‍महत्‍या के तरीकों पर भी चर्चा करते हुए लोगों को सुना गया था. पिपुल्‍स टेंपल के तौर पर इस घटना को आज भी याद किया जाता है. इस घटना को जिस शख्‍स ने अंजाम दिया था उसका नाम जिम जॉन्‍स था. इस घटना को यह कहते हुए अंजाम दिया गया था कि वह सामूहिक आत्‍महत्‍या नहीं कर रहे हैं बल्कि एक अमानवीय दुनिया की हालत के खिलाफ क्रांति लाने के लिए यह कदम उठा रहे हैं. इस दौरान जॉन्‍स को छोड़कर सभी को साइनाइड दिया गया था जबकि खुद उसने अपनी जान गोली मारकर ली थी.

सोलर टेंपल
सोलर टेंपल की घटना भी इसी तरह का एक और उदाहरण है. इस घटना में करीब 74 लोगों ने सामूहिक आत्‍म्‍हत्‍या की थी. इन लोगों का मानना था कि इस दुनिया के पाखंड और उत्पीड़न के खिलाफ उठाया गया यह कदम है. इस घटना को जोसफ डी मेंब्रो ने अंजाम दिया था. जेनेवा की इस घटना ने भी लोगों के दिलों में दहशत फैलाने का काम किया था. इस घटना के बाद भी फ्रांस, स्विटजरलैंड और कनाडा में 1994-95 के दौरान ऐसे ही कुछ और मामले भी सामने आए थे.

हैवन गेट
1997 में हैवन गेट की घटना ने सभी के रौंगटे खड़े कर दिए थे. 24 से 27 मार्च के बीच करीब 39 लोगों ने आत्‍म्‍हत्‍या को अंजाम दिया था. केलिफोर्निया में घटी इस घटना को आज भी अमेरिका नहीं भूल सका है. रेंचो सेंटा फे इलाका उत्तर में सेन डियागो से मिलता है. यहां मौजूद कुछ ग्रुप्‍स का मानना था कि वह इस तरह का कदम उठाकर उनके शरीर की आत्‍मा दूर चली जाएगी. उनका विश्‍वास था कि इस कदम के बाद उनकी आत्‍मा दूर स्थित हैली कॉमेट पर चली जाएगी. इस घटना में हैवन गेट के दो ऐसे सदस्‍य बच गए थे. इत्‍तफाक से यह दोनों ही उस वक्‍त वहां पर उपस्थित नहीं थे, जहां ये घटित हुआ था. फरवरी 1998 में इस घटना से बचे एक व्‍यक्ति ने चक हैंफरे ने बाद में आत्‍महत्‍या कर ली थी.

बांग्‍लादेश की एडम फैमिली
बांग्‍लादेश में भी इस तरह की ही एक घटना में एक ही परिवार के नौ लोगों ने अपनी जान दे दी थी. इस घटना को एडम हाउस के तौर पर याद किया जाता है. 2007 में बांग्‍लादेश में मेमनसिंह के परिवार ने इस तरह की सामूहिक आत्‍महत्‍या का घातक कदम उठाया था. घटना के बाद उनके घर से मिली डायरी में इससे जुड़े कुछ तथ्‍य भी उजागर हुए थे. इस दौरान पता लगा कि इस परिवार ने धर्म परिवर्तन कर लिया था और वह एडम और ईव की तरह जिंदगी जीना चाहते थे. वह चाहते थे कि उनके जीवन पर किसी भी धर्म विशेष के होने की बात न कही जाए, इसलिए उन्‍होंने इस्‍लाम त्‍याग दिया था. यह परिवार बड़ा अजीब था. वह कई बार काली की पूजा करते देखे गए.