सुधीर दंडोतिया, भोपाल। मध्य प्रदेश के गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) ने असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) के बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि ओवैसी ने कभी साक्षी और श्रद्धा पर बयान नहीं दिया। जातिगत राजनीति करते है। धर्मांतरण (Conversion) का कोई भी कुचक्र होगा, उसे मध्यप्रदेश में चलने नहीं दिया जाएगा। साथ ही उन्होंने बताया कि प्रदेश में 5 नए थाने खोले जाएंगे।

ओवैसी के बयान पर नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि वे जातिगत राजनीति करते हैं। ओवैसी की मानसिकता देख लो प्रेम जैसे शब्द में कबाब लाए हैं, सवाल लव का नहीं सवाल जिहाद का है, एक और एक मिलते हैं तो वह दो हो जाते हैं। लेकिन जिहाद में एक और एक मिलते हैं तो एक ही मिलता है बाकी के 35 टुकड़े हो जाते हैं। दमोह मामले में पासपोर्ट के जांच के निर्देश दिए हैं, कितनी बार विदेश गए हैं।

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कमलनाथ को लेकर कही ये बात

नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कमलनाथ (Kamal Nath) कुछ भी करले लें, सीएम शिवराज जितने आदिवासी हितेषी हैं, कमलनाथ कभी नहीं हो सकते। यह सिर्फ स्वांग कर रहे हैं, कांग्रेस ने कभी आदिवासी नेता को मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया।

गृहमंत्री मिश्रा ने कहा कि ओवैसी जैसे लोगों को यह समझ लेना चाहिए आईएएस अधिकारी नियाज खान (IAS Niyaz Khan) ने पुस्तक भी लिखी है वह भी उन्हें पढ़ना चाहिए। फूल सिंह बरैया (Phool Singh Baraiya) के बयान पर कहा कि पहले भी कई बार बोल चुके हैं, जमानत जब्ती वाले लोग लोकतंत्र बनाने और बिगाड़ने की बात करते हैं।

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एमपी में खोले जाएंगे 5 नए थाने

नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि प्रदेश में कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए 5 नए थाने खोले जाएंगे। जिसमें भोपाल के कोलार थाना क्षेत्र के कजलीखेड़ा, खरगोन जिला मुख्यालय के पुलिस सहायता केंद्र जैतापुर के स्थान पर नया थाना, सीधी जिले के मड़वास चौकी और सेमरिया और देवास के कमलापुर चौकी को थाने में उन्नयन किए जाने की प्रक्रिया विचाराधीन है।

एनडीपीसी एक्ट मामले के निराकरण के लिए

वर्तमान में मध्यप्रदेश के 45 जिलों में एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज प्रकरणों के निराकरण के लिए विशेष न्यायाधीश नियुक्त हैं। शेष 07 जिलों अशोकनगर, हरदा, बुरहानपुर, सिंगरौली, उमरिया, निवाडी और आगर में विशेष न्यायालयों की स्थापना के संबंध में अधिसूचना जारी किए जाने की कार्रवाई की जा रही है। विशेष न्यायालय की स्थापना हो जाने से, इन जिलों में एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज प्रकरणों का त्वरित निराकरण होना संभव हो सकेगा। साथ ही इन प्रकरणों की पैरवी के लिए आने जाने में होने वाला समय और धन का अपव्यय भी कम हो सकेगा। इसके अलावा साक्षियों को संबंधित न्यायालय जाने में भी सुविधा होगी।

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