पुरुषोत्तम पात्रा,गरियाबंद. जिले में एक बुजुर्ग को पक्के घर का सपना देखना मंहगा पड गया. बुजुर्ग के पास अब पक्का घर तो दूर खुद का पुराना कच्चा घर भी नही बचा. पीडित अब अपने परिवार के साथ पडोसी की एक छोटी सी कुटिया में रहने पर मजबूर है. यही नहीं बुजुर्ग का पक्का घर का सपना पूरा होगा, इसको लेकर भी संशय बरकरार है.

दरअसल, देवभोग विकासखंड के धौराकोंट के रहने वाले 70 वर्षीय जग्गनाथ को ढेड साल पहले पीएम आवास जारी हुआ था, यह सुनकर बुजुर्ग का चेहरा खिल उठा और उसे लगा कि कम से कम जिंदगी के अंतिम पड़ाव में तो वह पक्के घर का सुख भोग ही लेगा. जल्द से जल्द पक्का घर बनाने के चक्कर में उसने आनन फानन में अपना कच्चा घर तोडकर पक्का घर बनाने का काम शुरु कर दिया. यह सोचकर की जल्द ही उसे पीएम आवास की राशि मिल जायेगी.

उसके भरोसे बुजुर्ग ने साहूकार से ब्याज पर पैसे लेकर ये काम शुरु किया था. लेकिन ढेड साल बीतने के बाद भी उसे पीएम आवास की पहली किस्त तक जारी नहीं हो पायी. पैसे की कमी के कारण बुजुर्ग का घर भी अधर में लटक गया. बुजुर्ग साहूकार का कर्जदार भी हो गया और अपना पुराना घर भी गंवा बैठा. बुजुर्ग अब दूसरे के घर में दिन काटने पर मजबूर हो गया है.

वही सीईओ, देवभोग जनपद के सीईओ विनय कुमार अग्रवाल इस मामले में उपर लेवल से तकनीकि गड़बड़ी होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे है.