अमृतांशी जोशी, भोपाल। मध्य प्रदेश के मुरैना में शिक्षक भर्ती (Morena Teacher Recruitment) के दौरान दिव्यांगता प्रमाण पत्र (Disability Certificate) में गड़बड़ी पाए जाने के बाद अब स्कूल शिक्षा विभाग (School Education Department) सख्त नजर आ रहा हैं। जितने दिव्यांग शिक्षकों की नियुक्ति हुई उन्हें मेडिकल बोर्ड (Medical Board) के सामने पेश होना होगा। प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को लोक शिक्षण संचालनालय ने पत्र जारी किया है। मेडिकल बोर्ड से दिव्यांगता की पुष्टि करवानी होगी।

40 प्रतिशत अधिक दिव्यांगता के बाद ही नियुक्ति मान्य होगी, नहीं तो नौकरी चली जाएगी। जिला शिक्षा अधिकारियों को 8 जुलाई तक मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट और पालन प्रतिवेदन देना होगा। लापरवाही बरतने पर जिला शिक्षा अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी। लोक शिक्षण संचालनालय ने अपने पत्र में कहा प्रारंभिक जांच में कई दिव्यांग शिक्षकों के प्रमाण पत्र मुरैना से जारी होना पाया गया।

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ये है पूरा मामला

दरअसल, शिक्षक भर्ती में दिव्यांगजन कोटे में बड़ी लापरवाही सामने आई थी। कर्मचारी चयन मंडल ने प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित की थी। प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा में 1000 से अधिक दिव्यांग पदों पर 700 से ज्यादा दिव्यांगों ने दिव्यांग सर्टिफिकेट लगाकर नौकरी हासिल की थी। जिसमें अकेले मुरैना जिले से ही बनाए गए ढाई सौ से अधिक दिव्यांग सर्टिफिकेटधारी लोगों ने नौकरी हासिल कर ली थी। कई लोगों ने फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट लगाकर यह नौकरी हासिल की है।

जिसकी शिकायत दिव्यांग संघ के प्रदेश प्रभारी हेमंत कुशवाहा ने नि:शक्तजन कल्याण विभाग में की थी। इसके बाद लोक शिक्षण संचनालय के आयुक्त के निर्देश पर दिव्यांग सर्टिफिकेटों की जांच शुरू हुई। मुरैना कलेक्टर ने लोक शिक्षण संचनालय से प्राप्त पत्र के आधार पर जिला शिक्षा अधिकारी मुरैना एके पाठक और मुरैना के जिला हॉस्पिटल के सिविल सर्जन को यह जांच सौंपी थी।

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जांच में अब तक 77 लोगों के दिव्यांग सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए हैं। जिला शिक्षा अधिकारी ने सिटी कोतवाली पहुंचकर फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट धारकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है। सिटी कोतवाली टीआई योगेंद्र सिंह ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा है कि जिला शिक्षा अधिकारी की शिकायत पर 77 अभ्यर्थियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है।

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