रायपुर. नाबार्ड ने आज अपना 37 वां स्थापना दिवस मनाया है. इस मौके पर नाबार्ड ने राजधानी के एक निजी हॉटल में कार्यक्रम का आयोजन किया. इस दौरान उत्कृष्ट कार्य करने के लिए स्वयं सहायता समूहों ,बैंकरों और साझेदार गैर सरकारी संगठनों को राज्य स्तरीय एसएचजी अवार्ड से नवाजा गया और साथ ही स्वयं सहायता समूह बैंक लिंकेज कार्यक्रम छत्तीसगढ़’ और ‘ई-शक्ति स्वयं सहायता समूहों का डिजिटाइजेशन’ पुस्तिकाओं का विमोचन किया गया. इसके अलावा कृषक उत्पादक संगठनों के संवर्धन,वॉटरशेड,जनजाति विकास, शहद उत्पादन ,जैविक खेती आदि क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान के लिए नाबार्ड की साझेदार संस्थाएं,इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और उद्यमियों को सम्मानित किया गया. बता दें कि नाबार्ड ने अपने 37वें साल में प्रवेश किया है.
ग्रामीण के क्षेत्र के विकास में निभाई बड़ी भूमिका…
स्थापना दिवस के मौके पर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति एसके पाटिल ने नाबार्ड को शुभकामना देते हुए कहा कि,रूरल डेवलपमेंट में किस तरह काम हो सकता है. वो उदाहरण के रूप में नाबार्ड ने दिखाया है. जहाँ क्रेडिट किस तरह से मिल पाए और क्रेडिट देने के बाद उससे काम क्या हो ये भी बताना जरूरी है. ये दोनों चीजे नाबार्ड ने करके दिखाई है. ग्रामीण क्षेत्र में जो विकास दिखता है चाहे कोई भी योजना हो उसने ईंधन नाबार्ड की ओर से जाता है. नाबार्ड ने ग्रामीण क्षेत्र के विकास के बड़ी भूमिका निभाई है.
अच्छा मार्केटिंग पर दे रहे हैं ध्यान..
वहीं मुथ्य़ महाप्रबंधक एनपी महापात्रा ने कहा कि, इस 37 साल में नाबार्ड के साथ 87 लाख स्वयं सहायता समूह जुड़े हुए है और छत्तीसगढ़ की बात करे तो 2 लाख स्वयं सहायता समूह जुड़े हुए है.वर्तमान समय मे मुद्दा है कृषक उत्पादन संघ. हमे पूरे छत्तीसगढ़ में कृषक उत्पादन संघ हम कर रहे है..मशरूम,जिमीकंद और तेंदूपत्ता इन क्षेत्र में हम कृषक उत्पादन संघ करने की कोशिश कर रहे हैऔर उनका साथ देकर नाबार्ड आगे बढ़ रहा है. साथ ही उनका कैसा अच्छा मार्केटिंग हो उस पर भी नाबार्ड ध्यान दे रही है.कार्यक्रम के दौरान कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल,कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर एसके पाटिल और नाबार्ड के मुख्य महाप्रबन्धक एनपी पात्रा सहित स्वयं सहायता समूह के सदस्य भी मौजूद रहे.