टीएल सिन्हा,मगरलोड. प्रदेश में कुछ अधिकारियों को किसी का डर नहीं है,न ही उन्हें किसी की परवाह है. वो तो बस अपनी मनमानी करना चाहते हैं और अगर आप उनसे कुछ सवाल करेंगे तो वे बौखला जाते हैं और तमीज सिखाने में उतारू हो जाते हैं.कुछ ऐसा ही मामला शुक्रवार को आया जब लल्लूराम डॉट कॉम ने एक निजी कंपने के खाद्द अधिकारी से बात की तो कहने लगा कि  जानते नहीं हैं कि मैं कौन हूं.

चक्कर काट रहे हैं…

चलिए पहले आपको पूरा वाक्या बता देते हैं. दरअसल नगर पंचायत विकासकंड मगरलोड में किसान पिछले कई दिनों से सोसाईटी के चक्कर लगा रहे हैं. चूंकि बारिश का मौसम शुरू हो गया है और किसानों को खेती के लिए  यूरिया,डीएपी जैसे खेती किसानी से संबंधित तमाम चीजों की आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में ये किसान इन दिनों सोसाईटी जा रहे हैं,इस उम्मीद से कि उन्हें सोसाईटी से ये जरूर समग्रियां उपलब्ध हो जाएंगी. लेकिन यहां तो माजरा कुछ और ही है.

धरने पर बैठे…

किसानों ने बताया कि वे यहां पिछले कई दिनों से आ रहे हैं. लेकिन उन्हें न तो यूरिया दिया जा रहा है न ही अन्य महत्वपूर्ण सामग्रियां. इसीलिए हमने तय किया है कि हम धरने पर बैठेंगे और जब तक हमें सामान नहीं दिया जाएगा तब तक हम यहां से नहीं उठेंगे. किसानों ने यह भी कहा कि मगरलोड के खाद्द गोदाम में नई रेंज के यूरिया राखड हैं,पर हमें नहीं दिया जा रहा है. इस दौरान उनका धरना प्रदर्शन चलता रहा.

आईडी नहीं दिया जा रहा…

इधर हमने मामले की पड़ताल की और समिति प्रबंधक दीपक साहू से बात की. तो उन्होंने बताया कि डीएपी सोसाइटी में तो  भेज दिया गया है. लेकिन कंपनी द्वारा हमे आई डी नहीं दिया जा रहा है जिसके कारण हमे खाद किसानों को वितरण नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि कई बार अधिकारी ध्यान नदीं दे रहे हैं.

कर चुका हूं शिकायत…

इतना ही नहीं हमने इस मामले में डीएमओ जयदेव सोनी से भी संपर्क किया तो उन्होंने जो बताया वो और हैरान करने वाला है. सोनी ने बताया कि जो कंपनी हमे खाद सामग्रियां उपलब्ध कराती है उसका नाम आई पी एल कंपनी का है. मैंने कई बार उनसे कहा है कि हमे आई डी उपलब्ध करा दें. परंतु वो सुनते ही नहीं है. इसके लिए मैंने रायपुर में इनके मुख्य कार्यालय में भी शिकायत की है. फिर भी अब तक कुछ नहीं हो सका है. इसलिए मैने कहा भी है कि अगर आई डी नहीं दे सकते तो इस कंपनी को उठाकर ले जाओ.

हलवा नहीं जो उठा के खालो…

इसीलिए लल्लूराम डॉट कॉम ने ये ठानी कि अब सीधे कंपनी से बात की जाए. इसलिए  हमने संपर्क किया कंपी के खाद प्रभारी जिनका नाम लोकेश जेठिया है. हमने इनसे पूछा कि आई डी उपलब्ध क्यों नहीं करवाते आप लोग किसान परेशान हो रहे हैं. तो उन्होंने जवाब दिया ये हलवा नहीं है, जो उठाकर खालो,मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता, जो करना है कर लो. हमने उनसे ये भी कहा कि अगर आप नहीं कर सकते तो अपने उच्च अधिकारी से संपर्क करा दीजिए तो इस मनमाने अधिकारी ने ये कहते हुए फोन काट दिया कि आप जानते नहीं मैं कौन बोल रहा हूं.

हम आज भ्रष्टाचार मुक्त की बात तो जरूर करते हैं, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. शायद यही कारण है कि कुछ लोगों को गरीब किसानों के सरोकार से कोई फर्क नहीं पड़ता और वो सिर्फ अपनी ही मनमानी करना जानते हैं.जैसा कि इस अधिकारी ने किया. अब देखने वाली बात ये होगी कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है. क्या किसानों को खाद सामग्रियां मिलेंगी या वो अब भी सिर्फ चक्कर ही लगाते रहेंगे.