लक्ष्मीकांत बंसोड़,डौंडी. जब समाज में शिक्षक का नाम लिया जाता है तो कहा जाता है कि सच्चा शिक्षक वही है जो विद्यार्थी को हर समय क्षमा करने की भावना रखता है, और उसकी हर कमजोरी दूर करके उसे शिखर तक ले जाता है. चलिए अब ज्यादा ज्ञान नहिं देते हुए हम कहानी पर ही आ जाते हैं. क्योंकि हम जिन शिक्षकों की कहानी आपको बताने जा रहे हैं, वो न तो ज्ञान देने के काबिल हैं, न ही ज्ञान लेने के. दरअसल ये हम नहीं कह रहे हैं. इन्होंने ही कुछ ऐसा किया है,जिसके बाद ही हम आपको इन शिक्षकों के बारे में बता रहे हैं.

नहीं थे मौजूद…

शिक्षकों के संबंध के इस उलटे मामले का खुलासा तब हुआ है. जब नायब तहसीलदार डौंडी ब्लॉक मुख्यालय के अंतिम छोर में बसे ग्राम पंचायत आमाडुला के प्राथमिक विद्यालय निरीक्षण करने पहुंचे. यहां जब गिरिजा शंकर साव निरीक्षण के लिए पहुंचे तो पता चला कि स्कूल में प्रधान पाठक के अलावा जो दो शिक्षक हैं वो मौजूद ही नहीं हैं.

हम आपको बता देना चाहते हैं कि इसके बाद नायब तहसीलदार को हैरानी नहीं होनी चाहिए थी. क्योंकि जिस तरह से ये हैरान कर देने  मामला वाला सामने आया. इसी तरह के तमाम मामले पहले भी सामने आते रहे हैं,जब शिक्षक अपनी ड्यूटी में मौजूद न होकर कहीं और व्यस्त रहते हैं. और सुनिय बात यही खत्म नहीं हुई है.

दौड़ते हाफते…

इसी बीच प्रधान पाठक ने आनन-फानन में और दोनों शिक्षकों को फोन करके बुलाया,तो दोनों दौड़ते हाफते स्कूल पहुंचे. इसके बाद नायब तहसीलदार गिरिजा शंकर साव ने बच्चों के खाने पीने की व्यवस्था एवं विभिन्न गतिविधियों पर भी चर्चा की. हालांकि इस चर्चा में क्या बात हुई वो अब तक पता नहीं चल सका है.

तहसीलदार ने लिया टेस्ट…

लेकिन अब हम आपको जो अब बताने जा रहे हैं वो सब से चौकान वाला है. दरअसल इसी दरमियान पता नहीं नायब तहसीलदार को क्या सक हुआ कि उन्होंने बच्चों की परीक्षा लेने के बजाए. उन शिक्षकों की टेस्ट ले लिया. अब तक ऐसा लग रहा था कि इस टेस्ट में शिक्षक तो आसानी से पास हो जाएंगे. पर जो हुआ उसे जानकर आपका गुस्सा, हैरानी और न जाने क्या-क्या हो सकता है.

 

दरअसल तहसीलदार ने पहले प्रधान पाठक सेवन्त मोहनमाला को सप्ताह के दिनों के नाम अंग्रेजी में लिखने कहा, लेकिन वो लिख ही नहीं पाय. बात यहीं खत्म नहीं हुई आगे और भी बहुत कुछ है बस आप आगे पढ़ते जाईये. आगे तहसीलदार ने दो अन्य शिक्षक राकेश कोमरे एवं रज्जू यादव को भी सप्ताह में पड़ने वाले दिनों के नाम अंग्रेजी में और गणित का एक सूत्र को भी हल नहीं कर सके.

इस दौरान नायब तहसीलदार को कितना गुस्सा आया होगा. ये तो उन्हें ही पता होगा. लेकिन उन्होंने जो कहा वो जानकर आपको थोड़ी संतुष्टी हो सकती है. उन्होंने कहा कि जब तुम्हें कुछ मालुम नहीं तो बच्चों को क्या पढ़ाओगे. इदर लल्लूराम डॉट कॉम ने भी तहसीलदार से इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि इस मामले की ठोस कार्रवाई जाएगी और रिपोर्ट डीएम को सौंपी जाएगी.

 

डीएड किए हुए…

आपको बता दें कि सरकार दुरदराज के गांव में शिक्षा का स्तर बेहतर करने के लिए स्कूल का र्निमाण कराती है. जहां बच्चे अपने भविष्य सवांरने के लिए आते हैं. पर जब ऐसा शिक्षक स्कूल में हो तो मासूम बच्चों का क्या होगा इसका मालिक भगवान ही है. चलिए आपको साथ ही यह भी बता दें कि ये शिक्षक जो इस पांचवी और छठवी के स्तर की परीक्ष में फेल हो गए हैं वो डीएड किए हुए हैं.

ये शिक्षक तो सिर्फ तहसीलदार की परीक्षा में फेल हो गए हैं, पर हमारे और आपके सामने कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं. और ये सवाल हैं कि आखिर ऐसा शिक्षकों की किसने भर्ती की है ? बच्चों के साथ जो खिलवाड़ किया जा रहा है  उसका जिम्मेदार कौन होगा? पता नहीं इसका कौन जवाब देगा. पर यकीन करें हमारे आस-पास भी बहुत से युवा हैं जो बेरोजगार घूम रहे हैं.

इनमें से ज्यादातर युवाओं पढ़े-लिखे हैं और बच्चों को अच्छी तरह पढ़ा भी सकते हैं. पर पता नहीं हमारी व्यवस्था को क्या हो गया है. और वे लगातार इन्हें मौका देने से चूक रहे हैं. ज्ञात हो कि समाज में कई बार ऐसे मामले भी सामने आए हैं,जब शिक्षकों ने अपने ज्ञान से ही अपना लोहा मनवाया है और कई बच्चों का भविष्य सवारा है. पर आज के इस उलटे मामले ने सबको परेशान कर दिया है.