सावन की हरियाली अमावस्या आज है. पितरों की शांति, श्राद्ध कर्म करने के लिए अमावस्या तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. मान्यता है इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान करने से तीन खतरनाक पितृदोष, कालसर्प दोष और शनि दोष से मुक्ति मिलती है. अमावस्या तिथि को पितृ तर्पण और श्राद्ध पितरों की मुक्ति और परिवार में सुख, शांति और समृद्धि के लिए किया जाता है. हिंदू धर्म में आषाढ़ की अमावस्या का विशेष महत्व है. इस दिन कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए पूजा, दान आदि किए जाते हैं.

ऐसे करें तर्पण

इस दिन अक्षत और काले तिल को जल में मिलाकर पितरों को जल दें. इसके अलावा ब्राह्मणों को भोजन कराएं और अपनी क्षमता के अनुसार दान करें. अमावस्या के दिन कौआ, गाय, कुत्ता आदि खिलाना भी बहुत शुभ होता है.

पिता के तर्पण का मंत्र

पिता को तर्पण करते समय गंगाजल में दूध, तिल, जौ मिलाकर तीन बार जलांजलि अर्पित करें. ध्यान रहे जल देते समय मन में यह कहना कि मेरे पिता को वासु के रूप में जल लेने से तृप्त होना चाहिए. साथ ही गोत्र का नाम लेते हुए ‘गोत्रे अस्मतपिता (पिता जी का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः’ मंत्र का जप करें.

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