रायपुर. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आईटीबीपी 41 बटालियन न केवल अपनी ड्यूटी कर रहे है, बल्कि आने वाली पुश्ते नक्सलियों के बहकावे में न आए इसलिए उन्हें स्कूल में बच्चों को शिक्षित भी किया जा रहा है. कोंडागांव आईटीबीपी 41 बटालियन के कमांडेंट सुरेंद्र खत्री खुद स्कूल में बच्चों को गणित पढ़ा रहे है. जिससे बच्चे शिक्षित हो और बड़े होकर समाज की मुख्यधारा से ही जुड़े रहे. कोंडागांव से लगभग 41 किलोमीटर दूर मरदापाल रोड में नक्सल प्रभावित गांवों में से एक गांव है हडेली. यहां के सरकारी स्कूलों तक पहुंचने के लिए कच्ची सड़कों से होकर गुजरना पड़ता है और बारिश के समय रास्ते में पानी भर जाने के कारण स्कूल में शिक्षकों की कमी हो जाती है. आईटीबीपी 41 बटालियन की पेट्रोलिंग गाड़ी जब भी यहां से गुजरती स्कूल में बच्चे हमेशा मस्ती और खेलकूद करते ही नजर आते.

किसी तरह जवानों ने अपने कमांडेंट को यह जानकारी दी. इसके बाद कमांडेंट ने शिक्षा विभाग के संज्ञान में यह मामला लाया और वहां से अनुमति मिलने के बाद खुद ही स्कूल में बच्चों न केवल पढ़ाने पहुंच गए बल्कि उन्होंने कुछ जवानों की बच्चों को पढ़ाने की ड्यूटी ही लगा दी है, जिससे बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी कर सके. लल्लूराम.कॉम से बातचीत करते हुए कमांडेंट सुरेंद्र खत्री ने बताया कि अब आईटीबीपी 41 बटालियन ने इस स्कूल को गोद ले लिया है. उन्होंने बताया कि इस स्कूल में पहले लाइट भी नहीं थी, लेकिन अब यहां लाइट भी लगा दी गई है. इसके अलावा स्कूल में शिक्षा के प्रति बच्चों को रुझान हो इसलिए शिक्षा के साथ उन्हें स्कूल में कराटे भी सिखाया जा रहा है. कमांडेंट ने कहा कि इस स्कूल में 8 वीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है और जब स्कूल को आईटीबीपी ने गोद लिया उसके पहले तक यहां केवल 10-15 बच्चे ही आते है, लेकिन अब पूरे गांव के 80 से ज्यादा बच्चे स्कूल में पढ़ाई करने आते है.

स्कूल न पहुंचने पर जवान खुद ही पहुंच जाते है घर

कमांडेंट ने सुबह 10 बजे से 4 बजे तक स्कूल में बच्चों को पढ़ाने जवान रोहित नेगी, सुर्कर सिंह, सिकंदर सिंह और जगाराम यादव की ड्यूटी लगा दी है. इस दौरान यदि कोई बच्चा लगातार कुछ दिनों तक स्कूल में अनुपस्थित रहता है, तो जवान सीधे बच्चे के घर पहुंच जाते है और स्कूल न आने की वजह जानते है. यदि उन्हें पता चलता है कि बच्चे की तबीयत खराब होने के कारण वह स्कूल नहीं आ पा रहा है तो जवान उन्हें आईटीबीपी के कैंप लेकर पहुंचते है जहां उनका इलाज किया जाता है.

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