नई दिल्ली . दिल्ली उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को सभी शैक्षणिक संस्थानों में विशेष रूप से दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए पांच प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. उच्च न्यायालय ने दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के आदेश का पालन करने को भी कहा है.

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय से कानून के अनुसार विशेष रूप से दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सीटें आरक्षित करने को कहा. उच्च न्यायालय का आदेश एक जनहित याचिका पर आया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि प्रतिवादी विश्वविद्यालय दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के प्रावधानों का पालन करते हुए विशेष रूप से दिव्यांग व्यक्तियों को पांच प्रतिशत आरक्षण प्रदान नहीं कर रहा है. पीठ में न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी भी शामिल थे. यह देखा गया कि विश्वविद्यालय सभी पाठ्यक्रमों में विशेष रूप से दिव्यांग व्यक्तियों को पांच प्रतिशत कोटा प्रदान कर रहा है.

हालांकि, इसमें कहा गया है कि दिल्ली सरकार और विश्वविद्यालय विशेष रूप से दिव्यांग व्यक्तियों की सभी श्रेणियों को आरक्षण प्रदान करके विशेष रूप से दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सीटें भरने के हर संभव प्रयास करेंगे. पीठ ने बीती मई में एक अंतरिम आदेश पारित कर विश्वविद्यालय को वर्तमान शैक्षणिक सत्र में प्रवेश के लिए विशेष रूप से दिव्यांग उम्मीदवारों को आरक्षण प्रदान करने का निर्देश दिया था.

अंतरिम आदेश लागू नहीं करने का आरोप लगाया

याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन जस्टिस फॉर ऑल ने तर्क दिया था कि विश्वविद्यालय, अधिनियम के तहत पांच प्रतिशत कोटा प्रदान करने के बजाय उम्मीदवारों को केवल तीन प्रतिशत कोटा दे रहा है. याचिकाकर्ता ने बाद में एक अवमानना आवेदन दायर किया और आरोप लगाया कि अंतरिम आदेश लागू नहीं किया जा रहा है. विश्वविद्यालय द्वारा एक हलफनामा दायर कर स्पष्ट रूप से कहा गया कि वह विशेष रूप से दिव्यांग व्यक्तियों को पांच प्रतिशत आरक्षण प्रदान कर रहा है, जिसके बाद उच्च न्यायलय ने कार्यवाही बंद कर दी थी.