भारत समेत दुनियाभर के बाजार में अधिकतर इलेक्ट्रोनिक्स आइटम की निर्भरता सेमीकंडक्टर चिपसेट पर है. मोबाइल से लेकर सैटेलाइट तक में चिपसेट का इस्तेमाल किया जाता है. भारत में आयात होने वाली चिपसेट महंगी पड़ती है, जिससे यहां कई सामान हाई रेट पर मिलते हैं. लेकिन अब कई लोगों के खुशखबरी है. दरअसल, एक बार भारत में चिपसेट का प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा, तो उसके बाद मोबाइल फोन, कंप्यूटर, मेडिकल उपकरण, होम अप्लायसेंस और गेमिंग हार्डवेयर की कीमत को कम करने में मदद मिलेगी. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार जल्द से जल्द इस सपने को पूरा करना चाहती है.
क्या होती है सेमीकंडक्टर चिप
सेमीकंडक्टर एक खास तरह का पदार्थ होता है. इसमें विद्युत के सुचालक और कुचालक के गुण होते हैं. ये विद्युत के प्रवाह को नियंत्रित करने का काम करते हैं. इनका निर्माण सिलिकॉन से होता है. इसमें कुछ विशेष तरह की डोपिंग को मिलाया जाता है, ताकि सुचालक के गुणों में बदलाव लाया जा सके. इससे इसके वांछनीय गुणों का विकास होता है और इसी पदार्थ का इस्तेमाल करके विद्युत सर्किट चिप बनाया जाता है.
इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स का दिल
सेमीकंडक्टर चिप को इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स का दिल माना जाता है. स्मार्टफोन्स से लेकर कार, डेटा सेंटर्स, कम्प्यूटर्स, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्ट डेवाइसेज, वीकल्स, हाउसहोल्ड अप्लायंसेज, लाइफ सेविंग फार्मास्यूटिकल डेवाइसेज, एग्री टेक, एटीएम और कई तरह के उत्पादों में इसका व्यापक इस्तेमाल होता है. यही वजह है कि सरकार देश में चिप की मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देना चाहती है. मोदी सरकार ने देश की इकनॉमिक स्ट्रैटजी में चिप मैन्यूफैक्चरिंग को टॉप प्रायोरिटी दी है. सरकार देश में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग का नया युग शुरू करना चाहती है और इसलिए दुनियाभर की कंपनियों को भारत आने का न्योता दे रही है.
अगले 14 महीनों में बाजार में आ सकती है भारत में बनी चिप
इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री चंद्रशेखर ने उम्मीद जताते हुए कहा कि अगले 12 से 14 महीनों में भारत में बनी पहली चिप बाजारों में आ सकती है. सेमीकान इंडिया 2023 से इतर बात करते हुए राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि इस क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दृष्टिकोण कॉलेजों में पढ़ने वाले युवा भारतीयों के लिए अधिक से अधिक अवसर पैदा करना है.
भारत के लिए सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में विश्वसनीय भागीदार के रूप में उभरना जरूरी
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध व कोरोना महामारी से चिप की सप्लाई चेन में कमी आई थी जिसकी वजह से आटोमोटिव, आइओटी, कंप्यूटर, मोबाइल फोन में मांग बढ़ने से चिप की कमी देखी गई. मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि एक ओर मांग बढ़ रही थी. दूसरी ओर, चिप का उत्पादन कुछ ही देशों में हो रहा था.
अब दुनिया और भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि भारत इलेक्ट्रानिक्स के साथ-साथ सेमीकंडक्टर में भी एक विश्वसनीय और लचीले भागीदार के रूप में उभरे.
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