रायपुर. 27 जुलाई को सदी का सबसे लंबी अवधि का चंद्रग्रहण पड़ने जा रहा है. ज्योतिषाचार्य पंडित अरुणेश कुमार शर्मा ने बताया है कि सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण पृथ्वी पर गहरा प्रभाव डाल सकता है. समस्त चराचर इससे अछूता नहीं रहेगा. यह केवल चंद्रमा के पृथ्वी की छाया में आकर लोप हो जाने वाली घटना मात्र नहीं है. सौरमंडल और ब्रह्मांड के दृष्टिकोण में यह अति महत्व की घटना है. ग्रहण के प्रभाव से स्वयं के बचाने के लिए हम सभी को कुछ सावधानियों को अवश्य अपनाना चाहिए.

ग्रहण के दौरान अत्यधिक शारीरिक मानसिक और बौद्धिक श्रम से बचें. विशेषतः विद्यार्थियों और पेशेवरों को इस दौरान सहज रहना है. गृहिणियों को भी घरेलू कार्यों में परिश्रम से बचना है. इन्हें सूतक से पहले या ग्रहण के बाद करें. भारी उद्योग और देर रात कार्य में संलग्न लोगों को कार्यावकाश की सलाह है. उद्यमियों को भी यह प्रयास करना चाहिए कि मशीनों को विराम दें. उद्यम स्थलों पर सामान्य कार्य ही किए जाएं. साथ ही चिकित्सा और अभियांत्रिकी जैसे बेहद जिम्मेदारी पूर्ण आकस्मिक सेवाओं से जुड़े जनों को भी संभव हो सके शल्यकर्म एवं यंत्रकार्य को टालने का प्रयास करना चाहिए.

रासायनिक क्रिया के प्रति संवेदनशील वस्तुओं विशेषतः धातु निर्मित सामानों से दूरी रखें. जैसे- लोहा, एल्युमीनियम तांबा चांदी एवं अन्य मेटलिक मटेरियल को न छुएं. कारण, ग्रहण के दौरान प्राकृतिक स्तर पर अनेक सूक्ष्म परिवर्तन होते हैं. इनके संपर्क से हानि होने की आशंका है. भोज्य पदार्थ में तुलसीदल डालकर रखें. कोशिश करें कि ग्रहण तक अतिरिक्त भोजन संग्रहित न होने पाए. विशेषतः पका हुआ.

ग्रहणकाल के दौरान परिजनों के सानिध्य में रहें. सहज वातावरण में स्वयं को रखने का प्रयास करें. मतभेद तनाव से मुक्त हो हर्ष आनंद से रहें. मंदिरों में इस दौरान पट बंद रहते हैं. अतः घरों में स्थापित देव प्रतिमाओं को ढंककर रखें. उनके दर्शन पूजन और स्पर्श से बचें. ग्रहण के दौरान केवल मंत्र जाप भजन और साधना ही शास्त्रोक्त है. गर्भवती महिलाओं को सहजता से रहना है. चिंता भय श्रम से मुक्त रह अपनों के साथ समय बिताना है. कोशिश करें सूतक लगने के बाद तुलसीदल से संरक्षित और ढंका हुए पदार्थ ही लें.

सिलाई कढ़ाई बुनाई एवं वस्त्र काटने से बचें. कारण, इनमें इस्तेमाल होने वाले यंत्र धातुओं के होते हैं. साथ इन कम श्रम के नजर आने वाले कार्यों में इनकी महीनता के कारण अत्यधिक परिश्रम छिपा रहता है. आंखों को भी अतिरिक्त श्रम करना पड़ जाता है.

यज्ञ कर्म सहित समस्त अग्निकर्म निषिद्ध माने गए हैं. इनसे बचें. ऐसा करने से अग्निदेव रुष्ट होते हैं. अत्यावश्यक स्थिति में ही ऐसा करें. जैसे- रुग्ण जनों को दवा इत्यादि में प्रयोग के लिए. खाद्ध पदार्थ में भी उन्हें कच्चे फल और भीगे हुए मेवे इत्यादि दे सकते हैं.

चंद्र ग्रहण रात्रि में 1 बजकर 43 मिनट पर मध्यावस्था में पहुंचेगा. कम से कम इस समय तक जागने का प्रयास करें. संभव न हो तो नींद इस प्रकार लें कि सहज संकेतों में भी प्रतिक्रिया कर सकें. बच्चे बुजुर्ग और गर्भणियों के लिए इसमें राहत है.

सूतक से पहले भेंटादि कार्य पूर्ण कर लें.

प्रकृति इस समय अधिक संवेदनशील हो जाती है. ऐसे में पेड़ों जलाशयों वनों बागों तथा पुराने निर्जन भवनों से दूरी रखें. पत्तों लताओं को तोड़ने से बचें. केवल सूतक लगने से पहले भोजनादि के संरक्षण के लिए तुलसीदल तोड़कर रख लें.

औद्योगीकरण के दौर में शहरों में ही बड़े उद्यम स्थापित हो चुके हैं. कूड़े के ढेर भी यहां वहां व्याप्त हैं. ग्रहण के दौरान ऐसे किसी स्थान से स्वयं को दूर रखें जहां रासायनिक संक्रियाएं संभव हैं. रासायनिक रूप से संवेदनशील समस्त स्थानों से दूर रहें. घरों में भी जमा कूड़ा हटाएं. नजदीक वातावरण को पूर्ण स्वच्छ रखें.

ग्रहणोपरांत पुनः घर के साफ करें. मंदिरों देवालयों को धोएं. स्नान के बाद ईश्वर को धन्यवाद ज्ञापित करें. संकल्प एवं दान कर्म करें. स्नान के लिए सरिता सरोवर जाएं. संभव न हो तो घर पर ही पर्वकाल में स्नान करें.