सुशील सलाम,कांकेर. एक तरफ केंद्र सरकार स्वच्छ भारत अभियान के लिए लाखों करोड़ों खर्च कर रही है,साथ ही लोगों को साफ-सफाई के लिए भी जागरुक किया जा रहा है. लेकिन अभी भी कुछ इलाके हैं जहां नियमों को ताक पर रखकर लापरवाही बरती जा रही है.
दरअसल शहर के मध्य से गुजरने वाली दूध नदी का अस्तित्व को खतरे में ड़ालने का काम नगर पालिका के द्वारा खुलेआम किया जा रहा है. और शहर की शान कहे जाने वाली दूध नदी के तट पर पूरे शहर की गन्दगी फेंकी जा रही है.
बता दें कि ये वही दूध नदी है जिसके एक तट पर स्वच्छता अभियान के तहत 58 हफ़्तों तक सफाई अभियान चलाया गया था और इसी नदी के दूसरे तट पर पूरे शहर का कचरा डंप कर इस नदी के अस्तित्व को ही खतरे में डाला जा रहा है.
इस मामले में जब हमने नगर पालिका के अधिकारी से बात की तो उनका कहना है कि शहर के कचरे को डंप करने जमीन ही नहीं है. ज्ञात हो कि इससे पहले शहर का कचरा गोवर्धन गांव में डंप किया जाता था,लेकिन बाद में इस गांव ने भी हाथ पीछे खींच लिया और पालिका तब से अब तक जगह की ही तलाश कर रही है.
वहीं इस मामले को लेकर नगर पालिक अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ठाकुर का कहना है कि जिला प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं. लेकिन अब तक जमीन नहीं मिल पाया है. इसीलिए मजबूरन नदी के तट पर कचरा डंप किया जा रहा है.
ऐसे में ये कहा जा सकता है कि प्रशासन और पालिका के बीच आपसी सामंजस्य बिल्कुल नहीं है. औऱ दोनों के ही मामले को लेकर गंभीरता से नहीं लेने पर दूध नदी कचरों से पटता ही जा रहा है. जिससे अब शहर के लोगों को भी परेशानी हो रही है,वहीं नदी में आने वाले पशूओं पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है.