प्रदीप गुप्ता, कवर्धा. सावन के महीने में शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लग जाता है. फिर ऐतिहासिक भोरमदेव मंदिर में तो हजारों की तादाद में श्रद्धालु भोलेबाबा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इस बार सावन के पहले सोमवार को हजारों श्रद्धालुओं के साथ ही आईएएस अधिकारी और जिले के प्रभारी सचिव आर संगीता, कलेक्टर  अवनीश कुमार शरण, बिलासपुर कलेक्टर पी दयानंद, सिद्धार्थ कोमल परदेशी, एसपी डॉ लालउमेद सिंह, कवर्धा विधायक अशोक साहू और कई जनप्रतिनिधियों ने कवर्धा से पैदल भोरमदेव मंदिर तक की यात्रा की और पूजा अर्चना की. सभी अधिकारी और नेता शहर के बूढा महादेव मंदिर से पूजा अर्चना कर पदयात्रा की शुरुआत की.

कांवरियों का लगता है जमावड़ा

सावन के महीने में भोरमदेव मंदिर में जलाभिषेक के लिए कांवरियों का जमावड़ा लगा रहता है. यहां छत्तीसगढ़ के अलावा आसपास के राज्यों से भी श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. खासकर सावन महीने के सोमवार को यहां श्रद्धालुओं की तादाद बहुत ज्यादा होती है. इस बार भी भारी तादाद में श्रद्धालु कांवर और जल लेकर भोरमदेव के लिए रवाना हो रहे हैं.   श्रद्धालुओं की भारी तादाद को देखते हुए प्रशासन ने भी खास इंतजाम किए हैं. जिससे किसी को भी परेशानी का सामना न करना पड़े.

भोरमदेव मंदिर का इतिहास

कवर्धा से करीब 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है भोरमदेव मंदिर. इसका निर्माण 11वीं शताब्दी में नागवंशी राजा देवराय ने करवाया था.
मंदिर के चारो ओर मैकल पर्वत समूह है, जिनके मध्य हरी भरी घाटी में यह मंदिर है. मंदिर के सामने एक सुंदर तालाब भी है. इस मंदिर की बनावट खजुराहो तथा कोणार्क के मंदिर के समान है. ऐसा कहा जाता है कि गोड राजाओं के देवता भोरमदेव थे जो कि शिवजी का ही एक नाम है, जिसके कारण इस मंदिर का नाम भोरमदेव पड़ा। मुख्य मंदिर के पास ही मंडवा महल भी ये भी एक प्रचिन शिव मंदिर है.

देखिए वीडियो-    [embedyt] https://www.youtube.com/watch?v=r-XeogRM-r8[/embedyt]