नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने विभाग में अपने तबादलों और पोस्टिंग के लिए ‘बाहरी या राजनीतिक प्रभाव’ लाने वाले अपने कर्मियों पर गंभीरता से संज्ञान लिया है. राष्ट्रीय राजधानी में पुलिसकर्मियों के बीच तेजी से आम होती जा रही इस प्रथा पर अंकुश लगाने के लिए विभाग ने हाल ही में निर्देश जारी किए हैं. एक आदेश में पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने कहा कि अधिकारियों और पुरुषों के स्थानांतरण के लिए विभिन्न राजनीतिक हस्तियों से बड़ी संख्या में लिखित सिफारिशें मिल रही हैं. हमारे वर्दीधारी और अनुशासित बल के हित में इस प्रथा को समाप्त करने का समय आ गया है.
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सिफारिशों पर लगाई जाएगी लगाम
दिल्ली पुलिस के नियमों की धारा 13 के तहत पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने कहा कि सभी रैंक के पुलिस अधिकारियों को पदोन्नति, स्थानांतरण, सजा, अपील या किसी अन्य मामले में व्यक्तिगत दावों को दबाने में समर्थन के लिए अन्य विभागों या गैर अधिकारियों के संपर्क करने से मना किया जाता है. इस नियम का कोई भी उल्लंघन दिल्ली पुलिस अधिनियम 1978 की धारा 21 के तहत दंडनीय होगा.
अब दिल्ली पुलिस प्रमुख द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार, यदि पुलिस मुख्यालय या किसी कार्यालय को किसी पुलिसकर्मियों के स्थानांतरण या पोस्टिंग के संबंध में कोई अनुरोध या सिफारिश प्राप्त होती है, तो ऐसे पत्र की एक प्रति पुलिसकर्मियों की निजी फाइल पर रखी जाएगी.
रिफारिशी पत्रों की प्रति भेजी जाएगी अनुशासनिक प्राधिकारी और रिपोर्टिंग अधिकारी को
ऐसे पत्र की एक प्रति संबंधित अनुशासनिक प्राधिकारी और उनके रिपोर्टिंग अधिकारी को भेजी जाएगी. यदि इस तरह के पत्र बार-बार मिलते हैं, तो बड़ी सजा के लिए विभागीय जांच शुरू की जा सकती है. यह भी पाया गया कि कई मामलों में मौखिक सिफारिशें भी मिलती हैं. इस पर संज्ञान लेते हुए पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने आदेश में कहा कि उन मामलों में भी इस तथ्य का उल्लेख पुलिस कर्मियों की व्यक्तिगत फाइल में लिखित रूप में फोन करने वाले का विवरण, अनुरोध की तिथि और समय देते हुए किया जाएगा. दिल्ली पुलिस की जनसंपर्क अधिकारी सुमन नलवा ने बताया कि हालांकि यह आदेश पहले मौजूद था, लेकिन वर्तमान पुलिसिंग की चुनौतियों का सामना करने के लिए इसमें संशोधन किया गया है. वर्तमान आदेश ने 10 साल पहले अक्टूबर 2012 में जारी किए गए पिछले स्थायी आदेश का स्थान लिया था.
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कई स्थायी आदेशों की समीक्षा और संशोधन
दिल्ली पुलिस की जनसंपर्क अधिकारी सुमन नलवा ने कहा कि कई स्थायी आदेशों की समीक्षा और संशोधन किया जा रहा है, क्योंकि उन्हें 10-15 साल से अधिक समय पहले बनाया गया था और यह आदेश कई में से एक है जिसे संशोधित किया गया है. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों पर बाहरी प्रभाव लाने की प्रथा को कम करने की आवश्यकता पर बल देते हुए आयुक्त राकेश अस्थाना ने कहा कि हमारे लोगों को अपनी शिकायतों को हवा देने और निवारण प्राप्त करने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं मिलते हैं. उन्होंने कहा कि हमें उन्हें राजनीतिक व्यक्तियों के बजाय अपने तत्काल वरिष्ठों के माध्यम से अनुरोध भेजने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.
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दिल्ली पुलिस की जनसंपर्क अधिकारी (PRO) सुमन नलवा ने आगे बताया कि पिछले साल आयुक्त के साथ सीधे ओपन हाउस चर्चा का एक तंत्र शुरू किया गया था, जहां कोई भी पुलिसकर्मी अपनी शिकायतों को पुलिस प्रमुख के साथ साझा कर सकता है. उल्लेखनीय है कि दिल्ली पुलिस की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में 469 पुलिसकर्मियों को संदिग्ध सत्यनिष्ठा सूची में जोड़ा गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि 13 इंस्पेक्टर, 29 सब-इंस्पेक्टर, 52 एएसआई, 80 हेड कॉन्स्टेबल और 143 कॉन्स्टेबल सहित कुल 318 पुलिसकर्मियों को विभिन्न आयोगों और चूक के लिए निलंबित कर दिया गया. रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली पुलिस की सतर्कता इकाई रैंकों में सत्यनिष्ठा और ईमानदारी को लागू करने के लिए अधिकारियों और पुरुषों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखे है.
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