अयोध्या। अयोध्या में सालों के इंतजार के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो गया है और प्रभु श्रीराम 22 जनवरी को अपने गर्भ गृह में विराजमान हो चुके हैं. जिसके बाद से वहां दर्शन पूजन के लिए रामभक्तों की भीड़ उमड़ रही है. लोग जाति, धर्म और मजहब से ऊपर उठकर प्रभु श्रीराम के दरबार में पहुंचकर माथा टेक रहे हैं. इसी कड़ी में मगलवार को यूपी की राजधानी लखनऊ से मुस्लिम राम भक्तों का एक जत्था जिसमें करीब के 350 लोग शामिल हैं, यह जत्था अयोध्या पहुंचा और प्रभू श्रीराम के दर्शन किया.

बता दें कि 25 जनवरी को लखनऊ से निकला सैकड़ों मुस्लिम राम भक्तों का जत्था 30 जनवरी को श्री राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला का दर्शन करने पहुंचा है. हर कोई प्रभु श्री राम के रंग मे रंगा दिखा. बता दें कि इस दौरान मुस्लिम राम भक्तों ने एक दिन में 25 किलोमीटर की यात्रा की. इस दौरान अयोध्या पहुंचे मुस्लिम समाज के लोगों का अयोध्या के संतो ने स्वागत किया. बताया जा रहा है कि यह काफिला आरएसएस से जुड़े मुस्लिम मंच के संयोजक राजा रईस और प्रान्त संयोजक शेर अली खान के नेतृत्व मे पहुंचा था.

राजा रईस और शेर अली खान लखनऊ से छह दिन की पदयात्रा करके 350 मुस्लिम श्रद्धालुओं के साथ दर्शन के लिए अयोध्या पहुंचे थे. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुस्लिम श्रद्धालुओं के साथ यात्रा में मंच की सीता रसोई भी चल रही थी जो श्रद्धालुगण के जलपान और भोजन की व्यवस्था कर रही थी. इस तरह लखनऊ से अयोध्या के बीच के लगभग 150 किलोमीटर की दूरी को यह भरी लाव लश्कर ने छह दिनों में पूरा किया. इस दौरान हर 25 किलोमीटर के बाद यात्रा एक पूर्व निर्धारित स्थान पर रात्रि विश्राम के लिए रुकती थी और फिर अगली सुबह निकल पड़ती थी अपने नए पड़ाव की ओर. इस तरह छह दिनों के बाद यात्रा अयोध्या पहुँच गई.

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने बताया कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का यह दल 25 जनवरी को लखनऊ से चला था और रोजाना 25 किलोमीटर पदयात्रा कर के दर्शन करने पहुंचा था. शाहिद ने बताया कि इस मौके पर श्रद्धालुओं ने कहा कि इमाम ए हिंद राम के गरिमाई दर्शन का यह पल उनके पूरे जीवनकाल के लिए सुखद स्मृति के रूप में रहेगा. मुस्लिम श्रद्धालुओं ने श्री राम मंदिर परिसर से एकता अखंडता संप्रभुता और सौहार्द का संदेश दिया. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का मानना है कि जब तक देश में असदुद्दीन ओवैसी टाइप के तथाकथित मुसलमान नेता रहेंगे तब तक इस देश का मुसलमान अशिक्षित, पीड़ित, पिछड़ा, गरीब और असुरक्षित रहेगा. मंच के संयोजक राजा रईस ने यह बातें अयोध्या के श्री राम मंदिर में राम लला के दर्शन के बाद मंदिर परिसर में कही. उन्होंने कहा कि राम हम सभी के पूर्वज थे, हैं और रहेंगे.

नबी ने फरमाया ‘देश से मुहब्बत आधा ईमान’ – राजा रईस

राजा रईस और शेर अली खान ने कहा कि हमारे नबी ने फरमाया है देश से मुहब्बत आधा ईमान है. देश और इंसानियत सर्वोपरि है. धर्म, मजहब, जात, पात… ये सब छोटी चीज है. धर्म, पूजा पद्धति, ऊपर वाले को याद करने का तरीका भले ही अपने अपने अकीदे के हिसाब से होता है लेकिन किसी भी मजहब में यह नहीं सिखाया जाता है कि दूसरे धर्म की निंदा करो, मजाक उड़ाओ, या उन पर तशद्दुद करो. यह सभी ईमान, इंसानियत, इस्लाम और वतन की तौहीन है.

उन्होंने कहा कि मंच का मानना है कि हमारा मुल्क, हमारी सभ्यता, हमारा संविधान नहीं सिखाता है आपस में बैर रखना. अगर कोई अलग धर्म का इंसान किसी अलग धर्म के इबादतगाह या पूजा स्थल पर चला जाए तो इसका मतलब यह कतई नहीं मानना चाहिए कि उसने खुद का धर्म और मजहब छोड़ दिया है. क्या दूसरे की खुशी में शामिल होना जुर्म है? मंच का मानना है कि अगर यह जुर्म है तो फिर हर हिंदुस्तानी को यह जुर्म करना चाहिए.

ऐसा कर के हम सभी काफिर नहीं हो गए, कोई जुर्म नहीं किया

राजा रईस और शेर खान ने इसको विस्तार से समझाते हुए बताया कि यदि मुसलमानों के घर ईद और बकरीद के मौके पर गैर मुस्लिम आते हैं, मुहब्बत का पैगाम देते हैं और खुशियों में शामिल होते हैं, खाते पीते हैं तो क्या उन गैर मुस्लिम का धर्म भ्रष्ट हो जाता है? किसी गैर मुस्लिम के गम में अगर हम शरीक होते हैं, मौत पर मातम छाया होता है, पूजा पाठ हो रहा होता है तो क्या मुसलमानों का दीन, ईमान और इस्लाम इतना कमज़ोर है कि वो खतरे में आजाएगा? इसी तरह अगर उमेर इलियासी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में शिरकत करने गए या हम सभी 350 मुस्लिम श्रद्धालु दर्शन करने आए तो देश और इंसानियत का सम्मान करते हुए मान बढ़ाने आए। ऐसा कर के हम सभी काफिर नहीं हो गए, कोई जुर्म नहीं किया. बल्कि इस देश की मिल्लत मोहब्बत संस्कृति को मजबूत करने का काम किया है.

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