पुरुषोत्तम पात्रा,गरियांबद. किडनी प्रभावित सुपेबेड़ा के मरीज एक बार फिर मेकाहारा से इलाज अधूरा छोड़कर वापस अपने घर लौट आये हैं. ये दूसरी बार है जब सुपेबेड़ा के मरीजों को मेकाहारा से इलाज अधूरा छोडकर वापिस लौटना पड़ा है. मरीजों ने मेकाहारा में हुए इलाज पर कई तरह के सवाल खड़े किये हैं साथ ही भविष्य में दोबारा मेकाहारा नहीं जाने की बात कही है. यही नहीं गॉव के दूसरे 19 गंभीर मरीजों ने भी ईलाज के लिए मेकाहारा नहीं जाने को लेकर देवभोग बीएमओ को पत्र लिखकर अवगत करा दिया है.

मेकाहारा में कार्यरत छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध नफ्रोलॉजिस्ट पुनीत गुप्ता ने गॉव पहुंचकर ग्रामीणों को बेहतर ईलाज का भरोसा दिया था और मेकाहारा में सुपेबेड़ा के नाम से 5 बिस्तर का अलग से वार्ड बनाने का वादा किया था. पुनीत गुप्ता के आश्वासन के बाद 4 दिसबंर को सुपेबेड़ा के 6 गंभीर मरीज ईलाज के लिए रायपुर जाने को तैयार हुए थे.

बिना इलाज किडनी के मरीज लौटे घर

एक महीने बाद ही ईलाज के लिए गये ये सभी मरीज ईलाज बीच में ही छोड़कर घर वापिस लौट आये हैं और उन्होंने भविष्य में दोबारा मेकाहारा नहीं जाने की कसम खाई है. पीडित मरीजों को संजीवनी से निशुल्क इलाज होने का भरोसा दिलाकर ले जाया गया था बाद में वहॉ के डॉक्टरों द्वारा बाहर से दवाई और इंजेक्शन मंगवाये गये.

पीड़ित मरीजों ने सुनाई आपबीती

पीड़ित मरीज पुरंधर पुरैन ने आपबीती सुनाते हुए बताया कि जब तक डॉ पुनीत गुप्ता मौजूद रहते थे तब तक दूसरे डॉक्टरों का व्यवहार ठीक रहता था लेकिन उनके जाने के बाद ही डॉक्टर रंग बदल लेते थे. उन्हें जलील करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते थे. यहां बेहतर ईलाज नहीं होने के कारण उनके स्वास्थ्य में सुधार होने की जगह बिगड़ रहा था इसलिए वे परेशान होकर घर वापिस लौट आये हैं.

ग्रामीण प्रेमकुमार का आरोप है कि प्रशासन के लोग यहा तक कि डॉक्टर जब गॉव में आते हैं तो ग्रामीणों के प्रति बहुत सहानभुति दिखाते हैं. मगर रायपुर पहुंचते ही रंग बदल लेते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि वे कहीं भी ईलाज कराने को तैयार हैं लेकिन अब वे मेकाहारा नहीं जाना चाहते हैं.

मेकाहारा में इलाज न कराने को बीएमओ को सौंपा पत्र

इस घटना के बाद गॉव के लोगों में काफी आक्रोश व्याप्त है. अब गॉव का कोई भी मरीज मेकाहारा जाने को तैयार नहीं है. गंभीर रुप से पीडि़त 19 मरीजों ने मेकाहारा में ईलाज नहीं कराने का एक लिखित पत्र देवभोग बीएमओ डॉ सुनील भारती को सौंपा है.

किडनी की ​बीमारी से हो चुकी है 56 लोगों की मौत

सुपेबेड़ा गांव कई साल से किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहा है. अब तक इस बीमारी से 56 लोगों की मौत हो चुकी है और 180 से ज्यादा लोग किडनी की बीमारी से पीडि़त हैं जो इलाज के आभाव में इधर उधर भटक रहे हैं.

बेहतर इलाज का दिया गया था अाश्वासन

शासन प्रशासन पर बेहतर ईलाज नहीं कराने के आरोप शुरु से ही लगते रहे हैं. डॉ पुनीत गुप्ता के आश्वासन के बाद ग्रामीणों में एक बार फिर ईलाज की उम्मीद जगी थी लेकिन अब वह भी टूट चुकी है. ऐसे में एक बार फिर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर सुपेबेड़ा के मरीजों का ईलाज कैसे होगा, सरकार इऩके लिए कुछ करेगी या फिर इनको भगवान भरोसे छोड़ देगी.