भगवान शिव को चढऩे वाले फूलों और धतूर के महत्व के बारे में पुराणों में बताया गया है. पुराणों अनुसार भगवान शिव को फूल चढ़ाना सोना चढ़ाने के समान ही है. धार्मिक संघ के आधार पर धतूरे के फूल तथा फलों को पवित्र माना जाता है और इसका उपयोग भगवान शिव के अनुष्ठानों और पूजा में किया जाता है. धतूरे के फलों से बनी माला भगवान शिव को अर्पित की जाती है. हिंदू धार्मिक ग्रंथ “वामन पुराण” के अनुसार धतूरा भगवान शिव की छाती से निकला हुआ माना जाता है.इसी तरह आक अनेक औषधीय गुणों से संपन्न एक खास प्रकार का पौधा है, जिसकी पहचान एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के रूप में की जाती है. आक में ऐसे खास प्रकार के तत्व होते हैं, जिनकी मदद से कई गंभीर रोगों का इलाज किया जा सकता है.

त्वचा रोगों का इलाज करने में भी है प्रभावी

आक के रस में अनेक प्रकार के एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी सेप्टिक गुण पाए जाते हैं, जो त्वचा पर होने वाली सूजन, लालिमा व जलन को कम करने में मदद करते हैं. साथ ही इसका एंटी बैक्टीरियल प्रभाव कई प्रकार के संक्रमणों को बढ़ने से रोकता है.

कान के दर्द को दूर करता है आक

Aak के रस (आक का दूध) में खास प्रकार के शक्तिशाली तत्व पाए जाते हैं, जिनकी मदद से कान दर्द को दूर किया जा सकता है.आप रुई के साथ एक या दो बूंद कान में डाल सकते हैं.

सिरदर्द से राहत दिलाता है आक

Aak के पत्तों में कुछ खास प्रकार के तत्व शामिल होते हैं, जिनकी मदद से सिरदर्द को दूर किया जा सकता है. आक के पत्तों को पीस लें और उनका लेप सिर पर लगाएं.

बवासीर में लाभदायक है आक

बवासीर से परेशान लोगों के लिए भी आक का इस्तेमाल करना काफी लाभदायक हो सकता है. आक के पत्तों को पीसकर बवासीर के घाव पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है और साथ ही घाव जल्दी भरने लगता है.

आक के नुकसान

हालांकि, आक से प्राप्त होने वाले उपरोक्त लाभ पूरी तरह से प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों पर आधारित हैं और हर व्यक्ति के शरीर पर इसका प्रभाव अलग हो सकता है. आक के रस में कई ऐसे तत्व होते हैं, जो शरीर में जाकर विषाक्त प्रभाव पैदा कर सकते हैं. इसके लिए इसी अनुभवी वैद्य की सलाह बहुत जरूरी है.

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