नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के अंदर नेताओं के बीच मतभेद बढ़ता ही जा रहा है. पार्टी टूट की कगार पर दिख रही है. जब से राज्यसभा के लिए उम्मीदवारों की घोषणा हुई है, तभी से पार्टी के अंदर भारी असंतोष देखने को मिल रहा है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ तो कुमार विश्वास खुलेआम उतर आए हैं. मंत्री गोपाल राय के आरोपों पर उन्होंने कहा कि ‘इस माहिष्मती साम्राज्य की शिवगामी कोई और है और यहां रोज नए-नए कटप्पा पैदा होते रहते हैं.’ विश्वास का निशाना साफ तौर पर केजरीवाल था, जहां उन्होंने केजरीवाल को शिवगामी बता दिया, वहीं गोपाल राय को कटप्पा का दर्जा दे दिया.
बता दें कि गोपाल राय ने कुमार विश्वास और कपिल मिश्रा पर केजरीवाल सरकार को गिराने की कोशिश का आरोप लगाया था. उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली नगर निगम चुनाव के बाद केजरीवाल की सरकार को गिराने का षड्यंत्र रचने के केंद्र में कुमार विश्वास थे.
इससे पहले भी कुमार विश्वास ने कहा था कि केजरीवाल से असहमत होकर जीवित रहना मुश्किल है. उन्होंने कहा था कि उन्होंने अपनी शहादत स्वीकार कर ली.
केजरीवाल ने साधा मौन
इधर पार्टी कार्यकर्ताओं में भी राज्यसभा उम्मीदवारों को लेकर भारी नाराज़गी है. वहीं सीएम अरविंद केजरीवाल मौन धारण किए हुए हैं. इधर आप नेताओं में आरोप-प्रत्यारोपों का दौर जारी है.
पार्टी के हो सकते हैं दो फाड़
इधर जिस तरह से आप पार्टी में अंदरूनी हालात हैं, उससे माना जा रहा है कि पार्टी टुकड़ों में बंट सकती है. कुमार विश्वास नई पार्टी बनाने का ऐलान कर सकते हैं.
बता दें कि आप पार्टी की ओर से राज्यसभा उम्मीदवार के तौर पर संजय सिंह, एन डी गुप्ता और सुशील गुप्ता को आगे बढ़ाया गया है. इनमें से कारोबारी सुशील गुप्ता और नारायणदास गुप्ता के खिलाफ कुमार विश्वास हैं. साथ ही कई कार्यकर्ता भी खुलकर इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. असंतुष्टि इस बात को लेकर भी है कि जिन लोगों ने पार्टी को खड़ा करने में अपना योगदान दिया, उन लोगों की उपेक्षा की गई.
कार्यकर्ताओं का कहना है कि सुशील गुप्ता और एन डी गुप्ता का पार्टी में क्या योगदान है, उन्होंने पार्टी के लिए क्या किया है, साथ ही कारोबारियों को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया जाना किस तरह से पार्टी के हित में है. क्योंकि राज्यसभा में उसे भेजा जाना चाहिए, जो वहां जनता की बात को, समस्याओं को रख सके.
सूत्रों का कहना है कि अगले कुछ दिनों में पार्टी के अंदर बड़ा बवाल हो सकता है. इधर 2 कारोबारियों को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाए जाने का फैसला अरविंद केजरीवाल के गले की फांस बनता जा रहा है. केजरीवाल पार्टी के बाहर के लोगों के सीधे निशाने पर हैं ही, पार्टी के अंदर भी उनके इस फैसले को लेकर असंतोष है.