जगदलपुर। मंगलवार को कमिश्नर कार्यालय की बैठक में आदिवासियों ने घुसपैठ के मामले को जिस तरीके से रखा वह बस्तर के लिए चिंताजनक हैं आदिवासी नेताओं ने कहा है कि 300% की दर से प्रतिवर्ष जनसंख्या परलकोट क्षेत्र में बढ़ रहा है जिससे आदिवासी अस्मिता पर खतरा मंडरा रहा है वही बैठक के बाहर अबुझमाड़ क्षेत्र में भी बाहरी घुसपैठ की चिंता आदिवासी नेताओं ने जताई है.
आदिवासी नेता अरविंद नेताम से ज्यादा भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद सोहन पोटाई मुखर हुए थे जिन्होंने बताया कि 1960 और 1971 के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में जो लोगों को बसाया गया था वह तो शरणार्थी हैं किंतु 71 से लगातार 2017 के बीच में बाहरी घुसपैठियों की संख्या बढ़ती जा रही है जिससे परलकोट क्षेत्र का अस्तित्व खतरे में है आदिवासी नेताओं के अनुसार पश्चिम बंगाल या कहीं बांग्लादेश से आए शरणार्थी के परिजन लगातार आकर बस कर वन और राजस्व भूमि पर लगातार कब्जा कर रहे हैं जिससे इस क्षेत्र की स्थिति बिगड़ रही है खासकर कोयलीबेड़ा क्षेत्र की स्थिति और दयनीय है क्योंकि वहां आदिवासी और दीगर लोगों के अनुपात में 10 और 90 का अंतर है! भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद सोहन पोटाई ने एक प्रश्न के उत्तर में असहज महसूस करते हुए कहा कि नमो शुद्रो को कभी भी आरक्षण देने की मांग उनके द्वारा नहीं की गई और जो बातें प्रसारित की गई वह मीडिया की बनाई बनाई बातें हैं. पोटाई ने कहा कि एक वक्त ऐसा था कि कोयलीबेड़ा विकासखंड को सामान्य घोषित करने की मांग भी बंग समुदाय द्वारा की गई थी किंतु बतौर सांसद मेरे द्वारा विरोध किया गया और नमो शुद्रों को आरक्षण दिए जाने की बात आई गई हो गई.
वन कट रहे और सरकारी भूमि पर बढ़ रहा अतिक्रमण
आदिवासी नेताओं ने कहा कि ऊपर वर्णित क्षेत्रों में वन भूमि पर कब्जा वनों की बेतहाशा कटाई तथा सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे की शिकायतें लगातार मिल रही है और उसकी बकायदा संबंधित क्षेत्र के बड़े अधिकारियों को शिकायत की जा रही है उसके बावजूद वन और राजस्व अमला इस मामले पर रहस्यमय चुप्पी साधे हुए हैं वह दिन दूर नहीं की उस क्षेत्र में अवैध कब्जों की बाढ़ आ जाए जिससे आदिवासी अस्मिता पर खतरा हो.
अबूझमाड़ में भी बढ़ रहे घुसपैठिए
नारायणपुर जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष विसेल नाग ने बैठक के बाद चुनिंदा पत्रकारों से चर्चा में कहा कि लगातार अबूझमाड़ क्षेत्र में भी घुसपैठ बढ़ रहा है जिससे अबूझमाड़ के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है जिला प्रशासन द्वारा इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है जो कि खतरे की घंटी है!
लव जिहाद की तरह कोयलीबेड़ा पखांजूर में रैकेट.
कोयलीबेड़ा पखांजूर क्षेत्र से आए आदिवासी नेताओं ने कहा कि बड़ी संख्या में आदिवासी युवतियों से नमो शुद्रो जाति के युवक शादी कर रहे हैं और इन क्षेत्रों में पंचायतों के चुनाव में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं तथा पंचायत के कामों में भी इन गैरर्आदिवासियों का दखल बढ़ रहा है जोकि सीधे-सीधे लव जिहाद की तरह मामला दिखता है इनकी घुसपैठ अधिकारियों पर भी जम रही है जिससे उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं हो रही है.
मीडिया पर भी साधा निशाना
कोयलीबेड़ा पखांजूर क्षेत्र के मीडिया के काम में बंग समुदाय खासकर नमो शुद्रों की संख्या ज्यादा है और उस क्षेत्र में वास्तविक रिपोर्टिंग नहीं हो पा रही है जिससे मीडिया की कार्यप्रणाली पर ही सवालिया निशान लग रहे हैं.