नई दिल्ली। हॉलीवुड की फिल्म ‘ओपेनहाइमर’ भारत में 21 जुलाई को रिलीज होने होने जा रहा है. दुनिया के पहले परमाणु बम के निर्माण करने वाले अमेरिकी वैज्ञानिक जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर के इर्द-गिर्द घूमने वाली यह फिल्म (बायोपिक) कई मामलों में खास है. इनमें सबसे खास है कि ओपेनहाइमर का किरदार निभाने के लिए कलाकार सिलियन मर्फी ने भगवत गीता पढ़ी.

‘ओपेनहाइमर’ का निर्देशन महान फिल्म निर्माता क्रिस्टोफर नोलन ने किया है. इसके अलावा इस फिल्म को बनाने में दुनिया में अब तक के सबसे स्पष्ट तस्वीर लेने वाले सिनेमा कैमरे IMAX 70MM का इस्तेमाल किया गया है, इसके साथ ही फिल्म की स्क्रीन भी परंपरागत स्क्रीनों से बड़ी होगी.

यह फिल्म उस परमाणु वैज्ञानिक के जीवन पर है, जिसने परमाणु बम बनाया था. इस फिल्म में बताया गया है कि वैज्ञानिक जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने कैसे द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले परमाणु बम का निर्माण किया था. परमाणु बन के निर्माण के सा, और जब उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ, तो उन्होंने भगवत गीता भगवान कृष्ण के अर्जुन को दिए उपदेश को याद करते हुए कहा कि ‘मैंने ही संसार का निर्माण किया है, और मैं ही इसका विनाशक हूं.’

फिल्म के प्रमोशन के दौरान किए गए साक्षात्कार में सिलियन मर्फी ने बताया कि ‘मैंने फिल्म की तैयारी के लिए भगवद गीता पढ़ी थी. मुझे लगा कि यह एक बिल्कुल सुंदर पाठ था. बहुत प्रेरणादायक. यह उनके लिए एक सांत्वना थी. उन्हें इसकी आवश्यकता थी. गीता ने उन्हें शांति प्रदान किया, उनके जीवन में सांत्वना भरी थी.’

आपको बता दें, कि ‘ओपेनहाइमर’ के डायरेक्टर महान फिल्म निर्माता क्रिस्टोफर नोलन हैं, जो ‘मेमेंटो’, ‘इंसेप्शन’, ‘द डार्क नाइट ट्रिलॉजी’, ‘टेनेट’ और ‘डनकर्क’ जैसी महान फिल्मों के लिए जाने जाते हैं.

कौन थे वैज्ञानिक जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर?

वैज्ञानिक ओपेनहाइमर मूल रूप से जर्मनी के रहने वाले थे, जिनके पिता जर्मनी से भागकर अमेरिका आ गए और न्यूयॉर्क शहर में कपड़ा आयात करके अपना भाग्य बनाया था. हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान ओपेनहाइमर ने लैटिन, ग्रीक, भौतिकी और रसायन विज्ञान में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया था.

1925 में ग्रेजुएट होने के बाद वह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में कैवेंडिश प्रयोगशाला में रिसर्च करने के लिए इंग्लैंड चले गये और लॉर्ड अर्नेस्ट रदरफोर्ड के नेतृत्व में परमाणु संरचना पर काम करते हुए अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की थी. कैवेंडिश में ओपेनहाइमर को परमाणु रिसर्च को आगे बढ़ाने के प्रयासों में ब्रिटिश वैज्ञानिक समुदाय के साथ सहयोग करने का अवसर मिला. लीडेन और ज्यूरिख में विज्ञान केंद्रों की संक्षिप्त यात्राओं के बाद, वह बर्कले में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय और कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में भौतिकी पढ़ाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका लौट आए.

1939 में नाज़ी जर्मनी द्वारा पोलैंड पर आक्रमण के बाद भौतिक विज्ञानी अल्बर्ट आइंस्टीन, लियो स्ज़ीलार्ड और यूजीन विग्नर ने अमेरिकी सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर नाज़ी परमाणु बम बनाने में कामयाब हो गये, तो पूरी मानवता के सामने खतरा पैदा हो जाएगा. जिसकी वजह से अगस्त 1942 में अमेरिकी सेना को सैन्य उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग करने का तरीका खोजने के लिए ब्रिटिश और अमेरिकी भौतिकविदों के प्रयासों को व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी दी गई थी, जिसे मैनहट्टन प्रोजेक्ट के नाम से जाना जाता है.

ओपेनहाइमर ने प्राकृतिक यूरेनियम से यूरेनियम-235 को अलग करने और परमाणु बम बनाने के लिए रिसर्च शुरू किया था, जिसकी वजह से ओपेनहाइमर को इस काम को पूरा करने के लिए एक प्रयोगशाला बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई. इसके बाद ओपेनहाइमर परमाणु बम बनाने में कामयाब हो गये, जिसका सबसे पहले प्रयोग हिरोशिमा और नागासाकी शहर पर किया गया था.